बेटी के पहले पीरियड्स पर परिवार ने दी पार्टी, केक काटकर मनाया जश्न

काशीपुर। महिलाओं के पीरियड्स यानी माहवारी को लेकर समाज में तरह-तरह के विचार हैं। कुछ जगहों पर तो लोग आज भी इस संबंध में बात तक नहीं करना चाहते। इस बीच उत्तराखंड के एक परिवार ने अनोखी मिसाल पेश की है। इस परिवार ने बेटी के पहले पीरियड्स को उत्सव की तरह मनाया। इस तरह का कदम उठाने पर परिवार की प्रशंसा हो रही है।

काशीपुर निवासी जितेंद्र भट्ट में अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहते हैं। बीते दिनों उन्हें अपनी बेटी के पहले मासिक धर्म के बारे में पता चला। इसके बाद उन्होंने और उनकी पत्नी ने मिलकर बेटी को इस बारे में विस्तार से सारी जानकारी दी। उसके सारे भ्रम दूर किए। साथ ही समाज में मासिक धर्म को लेकर व्याप्त धारणाओं से भी उसका परिचय कराया। उन्होने बेटी को बताया कि मासिक धर्म महिलाओं में एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसमें अपवित्रता जैसी कोई बात नहीं है। इतना ही नहीं, बेटी को खास फील कराने के लिए दोनों ने इसका जश्न मनाने का भी फैसला किया। उन्होंने अपने करीबियों को एक पार्टी आयोजित कर आमंत्रित किया और बेटी के पहले मासिक धर्म को सेलिब्रेट करने के लिए सबके साथ मिलकर केट भी काटा।

फेसबुक पर लिखा- बेटी बड़ी हो गई है
जितेंद्र भट्ट की इस पहल की लोग दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं। भट्ट ने इस पल को अपने फेसबुक अकाउंट पर भी साझा किया और लिखा- बेटी बड़ी हो गई है। मासिक धर्म में लड़कियों को अछूत मानने वाले समाज में जितेंद्र भट्ट की इस कोशिश ने न सिर्फ उनकी बेटी को खास होने का अहसास कराया है बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया है कि इसे लेकर महिलाओं से किसी भी तरह का भेदभाव करना गलत प्रथा है। यह महिलाओं से जुड़ी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। अपनी बेटी पहले पीरियड्स पर केक काटकर जश्न मनाने के जितेंद्र भट्ट के फैसले की लोग जमकर सराहना कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक वरिष्ठ पत्रकार ने लिखा कि भारत में ही कई राज्य ऐसे हैं, जहां पर ससुराल में बहू के पहले मासिक धर्म पर पूरे गांव को पार्टी दी जाती है क्योकि यहीं से महिला के मां बनने का सफर शुरू होता है।

केक बनाने वाले को दिया आर्डर, उसने बोला क्या…
समाज में भी पीरियड को लेकर पहल से काफी कुछ बदल सकता है। केक का आर्डर लेने वाले दुकानदार का भी कहना है कि वाकई यह कुछ नया है और मैं भी पूरे परिवार को बधाई देता हूं। जब पहली बार मुझे आर्डर दिया गया तो मैं भी थोड़ा संभला और फिर से पूछा क्या संदेश देना है, लेकिन अगली आवाज उनके पिता की थी और उन्होंने बताया कि वह अपनी बेटी के लिए ऐसी पहल कर रहे हैं। मैं भी खुद को गौरवान्वित मानता हूं कि मैं इस पहल का एक हिस्सा हूं। आने वाली पीढ़ी के लिए ऐसा बदलाव अच्छा है। अपनी तरह का ये अनोखा उत्सव लोगों को निश्चय ही एक नई सोच की तरफ़ सोचने को मजबूर करेगा।

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