इंडियन मुजाहिदीन चार आतंकियों को 10 दस साल की सजा, एनआईए कोर्ट ने सुनाई सजा

नई दिल्ली। दिल्ली की एनआईइ कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन के चार आतंकियों को सजा सुनाई है। इन सभी को देशभर में आतंकवादी हमलों को अंजाम देकर सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की आपराधिक साजिश रचने का दोषी माना था। जिसके बाद आज सुनवाई करते हुए 10-10 साल की सजा सुनाई।

विशेष न्यायाधीश शैलेन्द्र मलिक ने आरोपियों दानिश अंसारी, आफताब आलम, इमरान खान और ओबैद-उर-रहमान को आईपीसी की विभिन्न धाराओं और कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था। चारों ने अदालत के समक्ष अपना दोष स्वीकार कर लिया था। इससे पहले कोर्ट ने 31 मार्च को कहा था कि चारों दोषी इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े हैं। इस संगठन पर भारत के कई हिस्सों में आतंकी घटनाओं की साजिश रचने का आरोप है। आरोपियों की पहचान दानिश अंसारी (दरभंगा, बिहार) आफताब आलम (पूर्णिया, बिहार), इमरान खान (नांदेड़, महाराष्ट्र) और ओबैद-उर-रहमान (हैदराबाद, तेलंगाना) के रूप में हुई, उन्हें जनवरी और मार्च 2013 के बीच गिरफ्तार किया गया था।

बम धमाकों के लिए भर्तियां कीं
दोषियों ने आपराधिक साजिश के लिए भारत के अलग-अलग हिस्सों, खासकर दिल्ली में बम धमाकों और आतंकवादी गतिविधियों के लिए बड़े पैमाने पर नए सदस्यों की भर्ती की। इसमें पाकिस्तान स्थित सहयोगियों के साथ-साथ स्लीपर सेल की मदद और उनका सहयोग शामिल था।

विदेशों से पैसा मिल रहा था
इन्हें अपनी आतंकवादी गतिविधियों के लिए हवाला चैनलों के जरिए विदेशों से पैसा मिल रहा था। दोषी बाबरी मस्जिद विध्वंस, गुजरात दंगों और मुसलमानों के खिलाफ हुईं घटनाओं के बारे में मुस्लिम युवकों को बताते थे ताकि उनमें कट्टरपंथी सोच पैदा की जा सके। इन चारों के खिलाफ भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने, युद्ध छेड़ने की योजना को छिपाने के तहत धाराएं लगाई गई थीं।

क्या है इंडियन मुजाहिदीन
इंडियन मुजाहिदीन को जानने से पहले SIMI यानी स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया को जानना जरूरी है। SIMI 1997 में बना अलीगढ़, UP में, लेकिन इसने अपना प्रमुख केंद्र दक्षिण भारत को बनाया। SIMI पर 2001 में आतंकी गतिविधियों के लिए बैन लगा दिया गया।

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