अमरावती। आंध्र प्रदेश के एक IAS अफसर को हाईकोर्ट के आदेश को नजरंदाज करना खासा भारी पड़ा है। जस्टिस ने अधिकारी को दो हफ्ते के लिए जेल भेजने का आदेश सुनाया। कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने के लिए उसे 2 हजार का जुर्माना भी भरना होगा। हालांकि ये आदेश फिलहाल चार हफ्ते के लिए लंबित रख दिया गया है। लेकिन कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि अफसर ने जान बूझकर कोर्ट के आदेश की अवहेलना की थी।
जस्टिस आर रघुनंदन राओ का कहना था कि अफसर को चाहिए था कि अगर अदालत के आदेश को क्रियान्वित करने में देरी हो रही थी तो वो अदालत के पास आकर और समय की मांग कर सकता था। लेकिन उसने जमीनी विवाद के केस में याचिकाकर्ता तो अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया। हाईकोर्ट के पास ये केस 2017 में आया था। तभी फैसला जारी कर दिया गया था। लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ। 2017 में ही अवमानना की कार्रवाई भी शुरू हो गई थी। लेकिन उसके बाद भी अधिकारी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। वो आदेश को फिर भी दबाकर रखे रहा।
अदालत ने आईएएस को अवमानना के मामले में दोषी ठहराते हुए कहा कि हम नहीं मान सकते कि वो छह साल तक कोर्ट के आदेश पर यूं ही बैठा रहा। उसने जानबूझकर कोर्ट के आदेश की अवज्ञा की। अधिकारी ने माफी मांगी तो भी आदेश को देर से जारी करने के लिए। छह साल तक वो कोर्ट के आदेश को ठंडे बस्ते में डाले रहा, इस बात के लिए उसने कोर्ट के सामने आकर माफी मांगने की जरूरत भी नहीं समझी। ये हिमाकत है।
बता दें यह मामला 2017 का है। जमीनी विवाद के एक केस में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने आदेश में विशाखापत्तनम के तत्कालीन कलेक्टर (डीसी) प्रवीन कुमार को आदेश दिया था कि वो याचिकाकर्ता को समय देकर उसकी फरियाद सुनकर हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक सही फैसला लें। लेकिन आईएएस अधिकारी ने याचिकाकर्ता को उसका पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया। वो लगातार उसे टालता रहा जबकि आदेश हाईकोर्ट का था।
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