महाराष्ट्र सरकार में मंत्री धनंजय मुंडे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा उनके निजी सचिव प्रशांत जोशी के माध्यम से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास पर सौंपा गया। बताया गया कि धनंजय मुंडे की तबीयत खराब होने के कारण वे स्वयं इस्तीफा देने नहीं जा सके। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने धनंजय मुंडे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और इसे राज्यपाल को आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया।
सरपंच हत्याकांड से जुड़ा इस्तीफा
धनंजय मुंडे के करीबी सहयोगी वाल्मिक कराड को सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद राज्य सरकार पर भारी दबाव था। सोशल मीडिया पर इस हत्याकांड से जुड़े कुछ फोटो वायरल हो गए, जिससे सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इसी के चलते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने धनंजय मुंडे से इस्तीफा देने को कहा।
धनंजय मुंडे, जो महाराष्ट्र सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्यरत थे, बीड जिले के परली से एनसीपी विधायक हैं। इससे पहले वह बीड के संरक्षक मंत्री भी रह चुके हैं। जब महाराष्ट्र में मंत्रिपरिषद का पहला विस्तार हुआ था, तब भी इस हत्याकांड का मुद्दा गरमाया था और कयास लगाए जा रहे थे कि धनंजय मुंडे को मंत्री पद नहीं मिलेगा। लेकिन, अजित पवार के समर्थन के चलते उन्हें मंत्री बनाया गया, हालांकि यह कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं चला।
सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड
9 दिसंबर को मसजोग के सरपंच संतोष देशमुख का अपहरण कर उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, जिससे पूरे राज्य में आक्रोश फैल गया। हाल ही में इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की, जिसमें धनंजय मुंडे के करीबी वाल्मिक कराड को आरोपी बनाया गया। इसके बाद विपक्ष ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया।
सरकार पर आरोप लगे कि वह अपराधियों को संरक्षण दे रही है। धनंजय मुंडे खुद भी पहले हत्या के आरोपी को अपना करीबी बता चुके थे। इसके कारण अजित पवार समेत पूरी महायुति सरकार की मुश्किलें बढ़ गईं।
सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तस्वीरें
राजनीतिक विवाद के बीच सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड से जुड़ी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिससे सरकार की स्थिति और भी कमजोर हो गई। इसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी नेतृत्व से धनंजय मुंडे के इस्तीफे की मांग की।
धनंजय मुंडे का बयान
इस्तीफा देने के बाद धनंजय मुंडे सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपना बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हाल ही में सामने आई तस्वीरों ने उन्हें भी विचलित कर दिया।
अपने पोस्ट में मुंडे ने आगे लिखा कि वह पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ हैं और डॉक्टरों ने उन्हें इलाज कराने की सलाह दी है। इसी कारण उन्होंने चिकित्सा आधार पर भी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने का निर्णय लिया।
सरपंच हत्याकांड की वजह
गांववालों के अनुसार, वाल्मिक कराड के इशारे पर सरपंच संतोष देशमुख की हत्या की गई, क्योंकि वह एक पवन चक्की प्रोजेक्ट में 2 करोड़ की फिरौती का विरोध कर रहे थे। इस प्रोजेक्ट को बीड जिले के परली तहसील में स्थापित किया जाना था और इसके खिलाफ संतोष देशमुख सड़क पर आंदोलन कर रहे थे।
धनंजय मुंडे का राजनीतिक सफर
धनंजय मुंडे ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अपने चाचा गोपीनाथ मुंडे की देखरेख में की थी, लेकिन बाद में वह शरद पवार के साथ जुड़ गए। 2014 में वह विधान परिषद के सदस्य बने और विपक्ष के नेता भी रहे। 2019 में उन्होंने पहली बार परली सीट से विधानसभा चुनाव जीता।
जब अजित पवार ने सरकार गठन को लेकर बगावत की, तब धनंजय मुंडे भी उनके साथ चले गए। अजित पवार की वापसी के बाद उन्हें उद्धव ठाकरे कैबिनेट में जगह मिली। 2023 में जब एनसीपी टूटी, तब भी वह अजित पवार के साथ रहे और मंत्री बने।
2024 में धनंजय मुंडे की वजह से बीजेपी ने परली में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। सरकार गठन के दौरान उन्हें एनसीपी कोटे से खाद्य, उपभोक्ता एवं आपूर्ति मंत्रालय सौंपा गया।
धनंजय मुंडे का इस्तीफा महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है। सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड में उनके करीबी सहयोगी का नाम सामने आने से उनकी छवि को गहरा आघात पहुंचा। हालांकि, मुंडे ने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य संबंधी बताया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार की छवि बचाने के लिए उनसे इस्तीफा लिया गया। अब देखना यह होगा कि इस पूरे मामले का महाराष्ट्र की राजनीति और आगामी चुनावों पर क्या असर पड़ता है।
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