Amarnath Yatra 2023: भारी बारिश और बर्फबारी के बाद दूसरे दिन भी यात्रा रोकी, जानिए कब होगी शुरू

श्रीनगर। कश्मीर में लगातार बारिश और बर्फबारी के कारण अमरनाथ यात्रा शनिवार को भी दूसरे दिन भी रोक दी गई है। श्रद्धालुओं को आधार शिविर बालटाल और पहलगाम से आगे नहीं जाने दिया गया। विभिन्न बेस कैंपों में बीस हजार से अधिक श्रद्धालु फंसे हुए हैं। यात्रा को लेकर प्रशासन लगातार दिशा-निर्देश जारी कर रहा है।

अमरनाथ यात्रा रोके जाने के संबंध में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ट्वीट कर जानकारी दी है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि खराब मौसम के कारण अमरनाथ यात्र फिलहाल के लिए स्थगित कर दी गई है। बताया कि यात्रा में फंसे श्रद्धालुओं को वहां से निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं।केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ट्वीट करते हुए बताया कि हम लगातार अधिकारियों के संपर्क में हैं। मैंने उत्तरी कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी और अमरनाथ श्राइन बोर्ड के सीईओ डॉ. मंदीप भंडारी से व्यक्तिगत रूप से बात की है। दोनों वरिष्ठ अधिकारी स्वयं स्थिति पर नजर रख रहे हैं।

मौसम विभाग ने चौबीस घंटे तक बारिश का अलर्ट जारी किया है। इससे पहले शुक्रवार को जम्मू से पहलगाम के लिए गए 4600 यात्रियों के जत्थे को रामबन जिले के चंद्रकोट यात्री निवास में रोक लिया गया। बालटाल रूट के 2639 श्रद्धालुओं को आगे जाने की अनुमति दी गई।यात्रा ट्रैक पर पहले से रुके 2670 यात्रियों ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए। बालटाल रूट पर रेलपथरी के पास भूस्खलन के चलते यात्रा मार्ग को क्षति पहुंची है। पवित्र अमरनाथ गुफा के साथ-साथ दोनों यात्रा मार्गों पर वीरवार रात से ही भारी बारिश के चलते यात्रा स्थगित है। अधिकारियों की मानें तो मौसम ठीक होते ही यात्रा फिर से शुरू कर दी जाएगी।

अब तक इतने यात्री हो चुके हैं यात्रा के लिए रवाना
इस साल 30 जून को अमरनाथ यात्रा शुरू से लेकर अब तक कुल 43,833 तीर्थयात्री जम्मू आधार शिविर से घाटी के लिए रवाना हो चुके हैं। अधिकारियों के मुताबिक, तीर्थयात्रियों की संख्या 84,000 से अधिक हो गई है। दक्षिण कश्मीर हिमालय में 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुफा मंदिर की 62 दिवसीय वार्षिक तीर्थयात्रा अनंतनाग जिले के पहलगाम और गंदेरबल जिले के बालटाल स्थित दोनों मार्गों से शुरू हुई।

यह यात्रा 31 अगस्त को समाप्त होने वाली है। पूरी यात्रा की निगरानी इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) से की जा रही है। तीर्थयात्रियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी विभाग आईसीसीसी से निगरानी करते हैं और अपने कर्मचारियों को सूचना भेजते हैं।

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