गायत्री प्रजापति ने बेहिसाब संपत्ति बनाई, इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, नहीं दी राहत

लखनऊ। धनशोधन के जरिये करोड़ों की बेनामी संपत्तियां अर्जित करने के आरोप में प्रदेश के पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने प्रजापति को आरोपों से मुक्त करने की अर्जी खारिज करने व उनके खिलाफ आरोप तय करने के ट्रायल कोर्ट के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने निर्णय में कहा कि विवेचना से पता चलता है कि अभियुक्त की मंत्री पद पर रहते हुए ज्ञात स्रोतों से कुल आय 72 लाख 38 हजार रुपये हुई जबकि अभियुक्त, उसके परिवार के सदस्यों, बेनामी संपत्तियों और कंपनियों की कुल सम्पत्ति 35 करोड़ रुपये है, अभियुक्त इस 35 करोड़ रुपये की सम्पत्ति के स्रोत के बारे में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका।

गायत्री के 14, पत्नी के 7 समेत 57 बैंक खाते
न्यायालय ने यह भी पाया कि ईडी द्वारा दर्ज कराए गए परिवाद में अभियुक्त से सम्बंधित कुल 57 बैंक खातों का पता चला जिनमें से सात अभियुक्त की पत्नी, छह-छह उसके दो बेटों अनिल कुमार प्रजापति व अनुराग प्रजापति, पाँच बेटी सुधा प्रजापति व 14 उसके खुद के नाम से हैं, इनके अलावा बाकी खाते अन्य लोगों व कंपनियों के नाम से हैं।

यही नहीं न्यायालय ने यह भी पाया कि अभियुक्त से सम्बंधित कुल 60 अचल संपत्तियों का भी पता लगाया गया जिनकी कुल कीमत 33 करोड़ 44 लाख रुपये से अधिक है और उनमें से चार अनुराग प्रजापति, नौ अनिल कुमार प्रजापति, दो अभियुक्त की पत्नी, दो बेटी सुद्धा प्रजापति तथा एक-एक दूसरी बेटी अंकिता व बहू शिल्पा के नाम हैं। बाकी की सम्पत्तियां अन्य लोगों व ऐसी कंपनियों के नाम हैं जिनमें अनिल कुमार प्रजापति डायरेक्टर है। न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया अभियुक्त ने बेनामी सम्पत्तियां भी अर्जित की हैं।

कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश में कहा कि पहली नजर में याची के खिलाफ धनशोधन निवारण कानून के तहत केस बनता है। ऐसे में ट्रायल कोर्ट के डिस्चार्ज अर्जी खारिज करने व याची के खिलाफ आरोप तय करने के आदेशों में कोई अवैधानिकता नहीं है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

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