‘कुरान पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाओ फिर देखो क्या होता है’, फिल्म आदिपुरुष को लेकर बोले जस्टिस

लखनऊ। आदिपुरुष में राम, सीता और हनुमान जी को गलत तरीके से दिखाने के मामले में चल रही सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। जस्टिस का कहना था कि हिंदू सहिष्णु हैं इसलिए चुप हैं। एक बार कुरान के बारे में गलत शलत डाक्यूमेंट्री बनाकर तो देखो, अंजाम का पता चल जाएगा।

न्यायमूर्ति चौहान ने यह भी कहा कि कुरान पर गलतियों को दर्शाने वाली एक छोटी डॉक्यूमेंट्री भी बड़े पैमाने पर हलचल पैदा करेगी। कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा, “यदि आप कुरान पर गलत चीजों को दर्शाने वाली एक छोटी डॉक्यूमेंट्री भी बनाते हैं, तो आप देखेंगे कि क्या हो सकता है।” हाईकोर्ट ने कहा कि सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए लगातार कुछ न कुछ किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा, “फिल्म निर्माता को अदालत में पेश होना होगा। यह कोई मजाक नहीं है।”

याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और श्रीप्रकाश सिंह ने कहा, ”आप लोगों को कुरान और बाइबल को भी नहीं छूना चाहिए। मैं यह क्लियर कर दूं कि किसी एक धर्म को मत छुओ। आप लोग किसी भी धर्म के बारे में गलत तरह से मत दिखाइए। कोर्ट का कोई धर्म नहीं है।” आगे उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म निर्माता केवल पैसा कमाना चाहते हैं।

पहली बार नहीं हुआ हिंदू देवी देवताओं का अपमान
अदालत का कहना था कि ये कोई पहली बार नहीं है जब हिंदू देवी देवताओं को गलत तरीके से दिखाया गया। आमिर खान की PK का नाम लिए बगैर जस्टिस ने कहा कि एक फिल्म में भगवान शंकर को त्रिशूल लेकर भागते हुए दिखाया गया था। ऐसा कई बार हो चुका है। आदिपुरुष तो इसकी बानगी भर है। कोर्ट ने कहा कि अगर हम अपना मुंह बंद रखते हैं तो फिर देखिए आगे क्या हो सकता है। फिल्म मेकर पैसा बनाने के लिए कुछ भी दिखाने को तैयार हो जाते हैं। अदालत ने कहा कि उसने आदिपुरुष मामले में कोई आदेश जारी नहीं किया है। जो भी कहा गया वो केवल मौखिक है।

हाईकोर्ट ने डिप्टी एडवोकेट जनरल बीएस पांडेय से पूछा कि CBFC ने आखिर फिल्म को पास कैसे कर दिया। पांडेय का कहना था था कि बोर्ड में बैठे लोग सेंसिबल हैं। उन्होंने देख सोचकर ही ये फैसला लिया होगा। जस्टिस ने मजाकिया लहजे में कहा कि आप कहते हैं कि संस्कारी लोगों ने फिल्म को पास किया है। जिन लोगों ने रामायण के बारे में ऐसा फैसला लिया है वो वाकई धन्य हैं। कोर्ट ने आदिपुरुष के मेकर्स पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि आखिर उनके दिमाग में क्या चल रहा था जो उन्होंने रामायण को इस तरह से दिखाया।

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