बीजिंग। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा पर चीन की बौखलाहट सामने आई है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका से बढ़ती नजदीकियों पर भारत के लिए चेतावनी जारी की है। ग्लोबल टाइम्स में छपे इस संपादकीय लेख में अमेरिका को मौकापरस्त बताया गया है।
ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि भारत को अमेरिका से सावधान रहने की जरूरत है। लेख में कहा गया है कि अमेरिका लंबे समय से चीन से निपटने के लिए भारत का सहारा लेता रहा है, लेकिन भारत को अमेरिका से पूरी तरह से सावधान रहने की जरूरत है। लेख में आगे यह भी कहा गया है कि अमेरिका की आदत है कि वह जियोपॉलिटिक्स को सत्ता और ताकत के चश्मे से देखता है। वह द्विपक्षीय संबंधों को लेनदेन की कसौटी पर परखता है। अमेरिका ऐसे देशों से गठजोड़ करता है, जिनसे उसे फायदा हो सके। संयुक्त राज्य अमेरिका किससे कितना फायदा होगा, उसके आधार पर देशों को महत्व देता है।
इस लेख में अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर के हवाले से कहा गया कि उन्होंने एक बार कहा था कि अमेरिका का कोई स्थाई दोस्त नहीं है, उसके हित केवल स्थाई होते हैं। ग्लोबल टाइम्स में कहा गया कि अमेरिका दूसरे देशों की सद्भावना के बल पर सुपर पावर नहीं बना है, बल्कि दूसरे देशों के डर को भुनाकर वह यहां तक पहुंचा है, लेकिन आज चीन को लेकर अमेरिका के खुद के डर की वजह से वह सहयोगी देशों की तरफ देख रहा है।
‘अमेरिका और भारत के संबंध टिकाऊ नहीं’
लेख में आगे कहा गया है कि जब भारत इतना सशक्त हो जाएगा कि वह अमेरिकी आधिपत्य को चुनौती देने लगेगा तो जाहिर सी बात है कि अमेरिका का रवैया भारत को लेकर बहुत तेजी से बदलेगा। अमेरिका और भारत के संबंध टिकाऊ नहीं है। अमेरिका ने सिर्फ इस तरह भारत के लिए अपने दरवाजे खोले हैं, ताकि वह चीन से निपट सके। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि दोनों देशों का संबंध आखिर कब तक टिक पाएगा।
‘अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक, दोस्त होना उससे भी ज्यादा घातक’
ग्लोबल टाइम्स में कहा गया कि भारत बहुत स्मार्ट तरीके से चीन को लेकर अमेरिका की असुरक्षा को भुना रहा है, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री को सचेत रहने की जरूरत है। इस बात का इतिहास साक्षी है कि अमेरिका जो वादे करता है। उन वादों को पूरा करने की उसकी नीयत नहीं होती। एक बार किसिंगर ने कहा था कि अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक हो सकता है, लेकिन अमेरिका का दोस्त होना उससे भी घातक है। अमेरिका एक ऐसा देश है, जो युद्ध चाहता है और उससे अपना लाभ लेता है।