‘गीता प्रेस को पुरस्कार देना गोडसे को इनाम देने जैसा’, कांग्रेस नेता जयराम रमेश का विवादित बयान

राहुल गांधी और जयराम रमेश

नई दिल्ली। धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन करने वाली गीता प्रेस, गोरखपुर को ‘गांधी शांति पुरस्कार’ देने के फैसले पर कांग्रेस बौखला गई है। कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने विवादित बयान देते हुए कहा कि यह ‘सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर लिखा, ‘शताब्दी वर्ष मना रही गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 देने का फैसला किया गया है…।’ उन्होंने कहा कि अक्षय मुकुल की 2015 में लिखी गई एक बहुत अच्छी जीवनी है, जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी के साथ बनते बिगड़ते रिश्तों की बात कही है। रमेश ने लिखा, ‘यह वाकई उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।’

गांधी शांति पुरस्कार भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है। वर्ष 1995 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके आदर्शों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी। पुरस्कार देश या दुनिया के किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है। सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में निर्णायक मंडल ने सर्वसम्मति से वर्ष 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस, गोरखपुर का चयन किया है। यह पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को अहिंसक और अन्य गांधीवादी आदर्शों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में परिवर्तन लाने में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जा रहा है।

वहीं इस पर पलटवार करते हुए दिल्ली में बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि गीता प्रेस की वजह से रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण जैसे ग्रंथ घर-घर पहुंचे इसलिए उसका समर्थन कांग्रेस कैसे कर सकती है। बीजेपी सांसद ने कहा, “कांग्रेस को तो राम के नाम से ही चिढ़ है जिनके समय में राम टेंट में रहे हों तो उनसे हम और अपेक्षा क्या कर सकते हैं। गीता प्रेस कौन है जिनके कारण तुलसीदास की रामचरितमानस वाल्मीकि रामायण को आज घर-घर में किसने पहुंचाया। जिसने धर्म को घर-घर तक पहुंचाया, अधर्म के रास्ते पर नहीं चलना सिखाया, उसका कांग्रेस कैसे समर्थन कर सकती है?”

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस को ‘हिन्दू विरोधी’ करार दिया और लोगों से सवाल किया कि गीता प्रेस पर उसके हमले से क्या कोई हैरान है? उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘गीता प्रेस को अगर ‘एक्सवाईजेड प्रेस’ कहा जाता तो वे इसकी सराहना करते… लेकिन चूंकि यह गीता है, इसलिए कांग्रेस को समस्या है।’’ पूनावाला ने कहा, ‘‘कांग्रेस मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष मानती है, लेकिन उसके लिए गीता प्रेस सांप्रदायिक है। जाकिर नाइक शांति का मसीहा है लेकिन गीता प्रेस सांप्रदायिक है। कर्नाटक में गोहत्या चाहती है कांग्रेस।’’

पूनावाला ने कांग्रेस नेता और पूर्व राज्यपाल शिवराज पाटिल के उस विवादित बयान का भी उल्लेख किया जिसमें उन्होंने दावा किया था कि लव जिहाद की बात सिर्फ इस्लाम में ही नहीं है, बल्कि ये भगवद् गीता और ईसाई धर्म में भी हैं। हालांकि, कांग्रेस ने उस समय कहा था कि इस तरह के बयान अस्वीकार्य हैं।

पुरस्कार की धनराशि नहीं लेगा गीता प्रेस
गीता प्रेस गोरखपुर को लागत से कम मूल्य में धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए जाना जाता है। ऐसा बीते 100 साल से होता आ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस गोरखपुर का चयन किया गया है लेकिन गीता प्रेस अपनी परंपरा के मुताबिक, किसी भी सम्मान को स्वीकार नहीं करता है हालांकि गीता प्रेस के बोर्ड की बैठक में फैसला लिया गया है कि सरकार का सम्मान रखने के लिए पुरस्कार के साथ मिलने वाली धनराशि को छोड़कर प्रशस्ति पत्र, पट्टिका और हस्तकला, हथकरघा की कलाकृति स्वीकार करेंगे।

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