बालासोर। ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के बाद अभी भी 82 ऐसे शव हैं, जिनकी पहचान नहीं हो सकी है। इन शवों की पहचान के लिए परिजनों की डीएनए टेस्टिंग करवाई जा रही है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को एम्स के अधिकारियों से मुलाकात की थी। उन्होंने इस दौरान पहचान की प्रक्रिया पर चर्चा की थी। इसके बाद उन्होंने कहा था, “डीएनए मिलान वैज्ञानिक तरीके से पहचान का एकमात्र तरीका है और हम इस संबंध में सभी कदम उठा रहे हैं।” भुवनेश्वर एम्स के अधिकारियों ने कहा कि शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग पूरी कर ली गई है। उन्होंने 50 से अधिक रिश्तेदारों के रक्त के नमूने भी एकत्र किए हैं जिन्हें एक या दो दिन में नई दिल्ली भेजा जाएगा। अधिकारी ने कहा, ”बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ लोग अभी भी शवों का दावा करने आ रहे हैं। हमने उन्हें तस्वीरों से शवों की पहचान करने के लिए कहा है। हम डीएनए जांच के लिए उनके रक्त के नमूने एकत्र कर रहे हैं, जिससे उनकी पहचान की पुष्टि होगी।”
बहनागा के जिस स्कूल में रखे थे शव उसे गिराया गया
वहीं, दूसरी ओर बालासोर में बहनागा हाई स्कूल भवन में अलौकिक शक्तियों और आत्माओं उपस्थिति की अफवाहों के बीच स्कूल के एक सहायक शिक्षक ने परिसर में मौजूद किसी भी आत्माओं के दावों का खंडन किया है। इस स्कूल को ओडिशा ट्रेन दुर्घटना के पीड़ितों के लिए एक अस्थायी मुर्दाघर के रूप में इस्तेमाल किया गया था। शिक्षक ने जोर देकर कहा कि आत्माओं की उपस्थिति वाली रिपोर्टें असत्य हैं। हालांकि अभिभावकों और छात्रों की चिंता को देखते हुए मौजूदा स्कूल बिल्डिंग को तोड़कर नया भवन बनाने का फैसला लिया गया है।
स्कूल के शिक्षकों में से एक ने कहा, “माता-पिता और बच्चों ने बहनागा हाई स्कूल में यह कहते हुए आने से इनकार कर दिया कि वहां शव रखे हुए थे। जिलाधिकारी कल आए थे। यह सब अंधविश्वास है। जिन कमरों में शव रखे गए थे, उन्हें तोड़कर नयी बिल्डिंग का निर्माण किया जाएगा।” तब तक अस्थायी व्यवस्था करके बच्चों को पढ़ाया जाएगा। ”