वकील के वेश में 50 हजार के इनामी ने कोर्ट में किया समर्पण

गाजियाबाद। मुरादनगर के व्यापारी मुकेश गोयल की हत्या में फरार चल रहे 50 हजार के इनामी अपराधी अंकित शर्मा ने गुरुवार दोपहर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की कोर्ट में समर्पण कर दिया। वह वकील के लिबास में पहुंचा। पुलिस का कहना है कि अदालत से अनुमति लेकर अंकित से जेल में पूछताछ की जाएगी।

मुरादनगर में 23 मई को मोबाइल कारोबारी मुकेश गोयल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड को उखलासरी निवासी मोनू और विशाल और मसूरी के गांव नूरपुर निवासी उसके साथी अंकित पंडित ने अंजाम दिया था। पुलिस ने दोनों पर पहले 25 हजार और फिर 50 हजार का इनाम घोषित किया था। दो जून को मोनू मुरादनगर गंगनहर पटरी पर पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो गया था। इसके बाद पुलिस अंकित पंडित की तलाश में जुटी थी। दोनों उखलारसी के बिजली ठेकेदार नवीन भारद्वाज की हत्या में भी शामिल बताए गए थे।

डीसीपी नगर निपुण अग्रवाल ने कोर्ट में संदिग्धों पर निगरानी के लिए सुरक्षा बढ़ाने का दावा किया था। बावजूद इसके अंकित पंडित करीब 12 बजे कचहरी परिसर में दाखिल हुआ। वह वकील की वेशभूषा में था और वकील की गाड़ी से कचहरी परिसर में दाखिल हुआ। परिसर में गाड़ी से उतरते ही वह दर्जनभर वकीलों के घेरे आ गया और सीजेएम कोर्ट में समर्पण कर दिया। हैरान करने वाली बात है कि लखनऊ में भी हत्यारोपित अधिवक्ता के भेष में आया था और अगले ही दिन अंकित ने भी यही तरीका अपनाया, फिर भी पुलिस कुछ नहीं कर पाई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता महेश चंद्र त्यागी ने गुरुवार को सरेंडर अर्जी के साथ उसे अदालत में पेश किया। संयुक्त निदेशक अभियोजन अनिल कुमार उपाध्याय ने बताया कि अदालत ने अंकित शर्मा को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। मामले में अग्रिम कार्रवाई के लिए 21 जून की तारीख नियत की गई है।

10 साल से कर रहा अपराध
अंकित शर्मा पर पहला केस 2010 में दर्ज हुआ था। वह 13 साल से अपराध कर रहा है। उस पर मुरादनगर, भोजपुर, निवाड़ी, कविनगर थाने में लूट, हत्या का प्रयास, हत्या, गैंगस्टर समेत अन्य धाराओं में 15 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से 13 मामलों पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। डीसीपी ग्रामीण जोन रवि कुमार का कहना है कि अंकित ने गुरुवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया। उसने वकीलों की तरह काली पैंट और सफेद शर्ट पहनी हुई थी। अदालत से अनुमति लेकर अंकित से जेल में पूछताछ की जाएगी। जरूरत पड़ने पर उसे रिमांड पर लिया जाएगा।

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