हरिद्वार। भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना देने वाले पहलवानों ने मंगलवार को हर की पौड़ी में अपने मेडल गंगा में बहाने का फैसला टाल दिया। पहलवानों के पहुंचने के घंटे भर बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता नरेश टिकैत अपने समर्थकों के साथ पहलवानों को मनाने के लिए हरिद्वार में हर की पौड़ी पर पहुंचे जिसके बाद पहलवानों ने अपने मेडल नरेश टिकैत को सौंप दिए हैं।
हरिद्वार में पहलवान करीब दो घंटे तक रहे। उन्होंने मेडल वाले बैग को टिकैत और दूसरे किसान नेता बाबा श्याम सिंह मलिक को दे दिया। टिकैत ने पत्रकारों से कहा कि इन्हें अखाड़ा और स्टेडियम में मैट पर प्रशिक्षण की जरूरत है लेकिन इन्हें जंतर मंतर पर बैठने के लिए मजबूर किया गया और अब गंगा घाट तक आ गए। उनके साथ दुर्व्यवहार और हिरासत में लेने की बजाय बृजभूषण के खिलाफ ऐक्शन होना चाहिए था। हम इस लड़ाई में पहलवानों के साथ हैं।
बता दें कि 28 मई को दिल्ली पुलिस ने इन पहलवानों को उस वक्त जंतर-मंतर से हटा दिया था जब ये सभी पहलवान नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर जंतर-मंतर से नई संसद तक मार्च निकालने जा रहे थे। दिल्ली पुलिस ने इन पहलवानों को बाद में हिरासत में भी लिया था। साथ ही इनपर दंगा करने की कोशिश की धाराओं समेत कई अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया था। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद कई पहलवानों ने ट्वीट किया था और कहा था कि हमारा संघर्ष यहीं खत्म नहीं होता है। हम आगे भी अपने हक के लिए लड़ते रहेंगे।
पहलवान साक्षी मलिक ने अपने ट्वीट में लिखा था कि हमारा आंदोलन खत्म नहीं हुआ है, पुलिस हिरासत से छूटकर हम वापस जंतर-मंतर पर सत्याग्रह शुरू करेंगे। इस देश में अब तानाशाही नहीं, बल्कि महिला पहलवानों का सत्याग्रह चलेगा।
साक्षी मलिक ने हरिद्वार पहुंचने के बाद भी एक ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने लिखा है कि क्या हमने इंसाफ मांगकर कोई गुनाह कर दिया। पुलिस ने हमारे साथ कितनी बर्बरता से व्यवहार किया। हम तो शांति से बैठक प्रदर्शन कर रहे थे।