नई दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह से पहले सियासी घमासान मचा हुआ है। 19 विपक्षी राजनीतिक दलों ने बुधवार को साझा बयान जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इसके उद्घाटन का बहिष्कार किया। वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वर सरमा ने इसको लेकर विपक्ष की आलोचना की है।
सरमा ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में 5 गैर बीजेपी और विपक्षी राज्य सरकारों ने विधानसभा भवन का शिलान्यास या फिर उद्घाटन किया। शिलान्यास और उद्घाटन या तो मुख्यमंत्री ने या फिर पार्टी अध्यक्ष ने किया। एक भी मौके पर राज्यपाल या राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया गया था। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि विपक्षी दलों का बहिष्कार स्पष्ट है। उन्होंने संसद भवन के निर्माण का विरोध किया। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि निर्माण इतनी जल्दी पूरा हो जाएगा। इसलिए विपक्ष के लिए सब कुछ बाउंसर की तरह हुआ है। बस अपना चेहरा बचाने के लिए वे बहिष्कार का नाटक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर से जुड़े दिन संसद भवन खुलेगा। यह उनके लिए समारोह का विरोध या बहिष्कार करने का एक और कारण हो सकता है।
कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का किया बहिष्कार
बता दें नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासी बवाल जारी है। कांग्रेस समेत विपक्ष के 19 राजनीतिक दलों ने नए संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है। इन दलों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP), द्रमुक (DMK), समाजवादी पार्टी (SP), जेडीयू (JDU), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), शिवसेना (यूबीटी), एआईएमआईएम (AIMIM), माकपा, भाकपा शामिल हैं। विपक्ष का कहना है कि संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से खुद उद्घाटन करना संवैधानिक मूल्यों का हनन है।
संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 21 मई को कहा कि संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं। कांग्रेस ने कहा कि 28 मई को हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है। इसी दिन नए संसद भवन का उद्घाटन करना राष्ट्र निर्माताओं का अपमान है।