नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और वरिष्ठ वकील कल्पथी वेंकटरमण विश्वनाथन ने आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने दोनों नए न्यायाधीशों को सभी जजों की उपस्थिति में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
शीर्ष अदालत में जजों के कुल 34 पद हैं, जिनमें से अब तक 2 रिक्त थे। इन दोनों ही जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 16 मई को सिफारिश की थी। इन दोनों पर ही केंद्र सरकार ने तेजी से फैसला लिया और 18 तारीख को ही मंजूरी की अधिसूचना जारी कर दी गई थी। केवी विश्वनाथन 25 मई, 2031 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहेंगे। यही नहीं जस्टिस जेबी पारदीवाला के 11 अगस्त, 2030 को रिटायर होने के बाद वह चीफ जस्टिस बन जाएंगे। केवी विश्वनाथन सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसे 10वें जज हैं, जो सीधे वकालत के पेशे से यहां तक पहुंचे हैं। यही नहीं वकील से सीधे जज बनने के बाद चीफ जस्टिस बनने वाले भी वह देश के चौथे शख्स होंगे। इस तरह विश्वनाथ की नियुक्ति अपने आप में कई रिकॉर्ड बनाने वाली भी है। उनसे पहले जस्टिस एसएम सीकरी, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी वकालत के पेशे से आए थे और मुख्य न्यायाधीश बने थे।
केवी विश्वनाथन पूर्व में अडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहे हैं। वह 30 सालों तक वकालत के पेशे से जुड़े रहे और इस दौरान उन्होंने कई हाईप्रोफाइल केसों की पैरवी की थी। देश के अटॉर्नी जनरल रहे केके वेणुगोपाल के साथ वह काम कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2009 में ही केवी विश्वनाथन को सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया था।
वहीं जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा अब तक आंध्र प्रदेश के चीफ जस्टिस थे, जहां से उन्हें प्रमोट करके उच्चतम न्यायालय लाया गया है। उन्हें अक्टूबर 2021 में ही आंध्र प्रदेश का चीफ जस्टिस बनाया गया था। इससे पहले वह छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में ऐक्टिंग चीफ जस्टिस के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
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