दिल्ली। राजधानी दिल्ली में साइबर अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। वो आए दिन बड़ी वारदात को अंजाम देते रहते हैं। मध्य जिला साइबर सेल ने खुद को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का ओएसडी बताकर ठगी करने वाले दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं, अधिकारियों और पार्टी कार्यकर्ताओं से करीब एक करोड़ की ठगी की है।
डीसीपी मध्य जिला संजय कुमार सेन के मुताबिक नौ मई को भाजपा मुख्यालय के पदाधिकारी की ओर से साइबर सेल में ठगी की शिकायत की गई। शिकायत में बताया गया कि कुछ लोग खुद को भाजपा पदाधिकारी बताकर विभिन्न राज्यों में पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं, सरकारी अधिकारियों से धोखाधड़ी कर रहे हैं। आरोपित खुद को केंद्रीय कार्यालय से जुड़ा भाजपा पदाधिकारी बता रहे हैं। शिकायत में आरोपितों के बारे में कुछ साक्ष्य भी पुलिस को सौंपे गए। जिसपर प्रारंभिक जांच के बाद साइबर सेल ने मामला दर्ज कर लिया गया था।
पुलिस ने मोबाइल सेवा प्रदाताओं से काल रिकार्ड विवरण और नंबर के उपभोक्ता की जानकारी हासिल की। इससे पता चला कि प्रवीण कुमार मयूर विहार में रहता है, लेकिन उसके वास्तविक पते की जानकारी पुलिस को नहीं मिली। इसके बाद पुलिस ने आरोपित से मिलने के लिए एक योजना तैयार की। एक पुलिसकर्मी ठेकेदार बनकर संपर्क किया। आरोपित से ठेका दिलवाने में मदद करने के लिए कहा गया।
आरोपित मयूर विहार इलाके में मिलने के लिए राजी हो गया। इसके बाद एडिशनल डीसीपी हुक्मा राम की टीम ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया। प्रवीण ने पूछताछ में बताया कि वह इंटरनेट से नेताओं और पार्टी के पदाधिकारियों का विवरण लेता था। इसके बाद उत्तर-पूर्वी राज्यों के कई नेताओं के संपर्क में आया। खुद को केंद्रीय कार्यालय में पदाधिकारी बताकर उनके साथ घनिष्ठता कर ली। वह उनसे पार्टी फंड के नाम पर और कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के लिए सिफारिश करने के नाम पर ठगता है। इसके एवज में उनसे होटल बुकिंग, हवाई यात्रा के टिकट और अन्य खर्चों के पैसे लेता था। इन नेताओं को प्रभावित करने के लिए वह पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ जाने-माने नेताओं के साथ अपनी फोटो का इस्तेमाल करता था। इस तरह से आरोपित ने कई नेताओं, अधिकारी और ठेकेदार से लाखों रुपये ठग लिए।
दूसरे आरोपी को पुलिस ने ऐसे पकड़ा
पुलिस ने एक अन्य मोबाइल नंबर के जरिए दूसरे जालसाज को गिरफ्तार किया। दूसरा मोबाइल नंबर लखनऊ निवासी पीयूष कुमार श्रीवास्तव का था। पुलिस टीम लखनऊ जाकर पीयूष के बारे में स्थानीय स्तर पर पूछताछ की। पूरी जानकारी इकट्ठा की। पुलिस टीम ने उससे व्यवसायी बनकर संपर्क किया। जब आरोपी पुलिस टीम से मिलने आया तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसके कब्जे से वह मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया। जिसका इस्तेमाल कर वह खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष का ओएसडी बताकर लोगों को धोखा दे रहा था। वह राष्ट्रीय अध्यक्ष के ओएसडी के नाम से विजिटिंग कार्ड का इस्तेमाल कर रहा था। जांच में पता चला कि उसने एक एनजीओ (भारतीय इनक्लूसिव डेवलपमेंट फाउंडेशन) को पंजीकृत किया हुआ है। वह निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व का लाभ लेने के लिए गेल, सेल, ओएनजीसी, बीएचईएल, आईआरसीटीसी जैसी सरकारी कंपनियों के विभिन्न उच्च अधिकारियों को व्हाट्स एप के माध्यम से फर्जी विजिटिंग कार्ड की कॉपी भेजता था। इसके जरिए वह गेल से 45 लाख रुपये ले चुका था। आरोपी इसी तरीके का इस्तेमाल कर और पैसा कमाना चाहता था।
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