गाजियाबाद। गाजियाबाद में निकाय चुनाव की अधिसूचना के बाद पार्टियों में टिकट दावेदारों की लाइन है। महापौर की सीट के लिए भाजपा से दीप्ति मित्तल भी मैदान में हैं। सीट महिला होने के बाद इनके नाम पर तेजी से चर्चा हो रही है। दावेदारी तो औरों की भी है लेकिन इन्हें प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। ऐसे में महापौर सीट को लेकर होने वाला चुनाव रोचक होगा।
राजनगर निवासी दीप्ति मित्तल आरएसएस पृष्ठभूमि से आती हैं। इसीलिए उनके भी दावेदारी मजबूत है। दीप्ति के पिता स्व. राजेश्वर प्रसाद आपातकाल के दिनों में जेल में रहे, साथ ही दीप्ति ने मात्र 11 साल की उम्र में इंदिरा गाँधी की सरकार के खिलाफ गौ रक्षा आन्दोलन में भाग लिया था। उन्होंने राम मंदिर आन्दोलन में भी अहम भूमिका निभाई है और एक सप्ताह मुज्जफरनगर की जेल काटी।
- दीप्ति मित्तल का विवाह एक उद्योगपति परिवार में हुआ है। फिलहाल वो हाई टेक मैनुफैक्चरिंग कम्पनी M/s गर्ग एसोसिएट प्राईवेट लिमेटेड और सुकृति विद्युत उद्योग में डायरेक्ट हैं। उनके पति सुधीर मोहन मित्तल आईआईटी कानपुर से केमिकल इंजीनियर हैं।-दीप्ति मित्तल के ससुर स्व. डॉ. जगमोहन गर्ग के नाम से कानपुर में ‘डॉ. जगमोहन गर्ग प्रोफेसर आईआईटी’ की स्थापना की गयी है। यहाँ रिसर्च स्कोलरशिप मिलती है, साथ ही आर्थिक तौर पर कमजोर छात्र-छात्रों का सहयोग किया जाता है। दीप्ति बताती हैं कि उनके सहयोग से कई छात्र एमटेक, बीटेक और एमसीए कर चुके हैं।
- दीप्ति मित्तल विद्या भारती द्वारा संचालित दो सरस्वती विद्या मंदिर की प्रबंधक हैं, इसमें एक विद्यालय राजनगर में हैं, दूसरा ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए कनौजा गांव में शुरू किया गया है। उन्होंने भारत विकास परिषद की उपाध्यक्ष रहते हुए पिछड़े वर्ग के 100 से ज्यादा बच्चों को शिशु मंदिर स्कूलों में शिक्षा दिलावाने का कार्य किया है।
- गाजियाबाद में गंदगी, कूड़े का निस्तारण एक बड़ी समस्या है। इस हिसाब से दीप्ति एक बेहतर मेयर साबित होती हैं। दीप्ति मित्तल स्वच्छता के कार्यों में भी बढकर हिस्सा लेती रही हैं। वो स्कूल, सोसायटी, दफ्तरों में कचरे से जैविक खाद बनाना सिखाती हैं, अब तक वो 500 से ज्यादा सेमिनार कर चुकी हैं।
- दीप्ति मित्तल गाजियाबाद की कंज्यूमर कोर्ट में 5साल जज भी रह चुकी हैं, इस दौरान उन्होंने 4000 से ज्यादा मामलों का निस्तारण किया।
वहीं भाजपा के गाजियाबाद प्रभारी अमित वाल्मीकि का कहना है कि चुनाव में संगठन के पुराने कार्यकर्ताओं को वरीयता मिलेगी। सभी के बायोडाटा लिए जा रहे हैं। कोर कमेटी के सामने प्रत्येक बायोडाटा पर चर्चा होगी। प्रदेश नेतृत्व का फैसला आखिरी होगा।
कब-कौन बना मेयर
- 1995 में दिनेश चंद्र गर्ग बीजेपी से गाजियाबाद के पहले मेयर बने।
- 2000 में दोबारा दिनेश चंद्र गर्ग ने जीत दर्ज कराई।
- 2006 निकाय चुनाव में सीट महिला खाते में गई। बीजेपी से दमयंती गोयल मेयर बनीं।
- 2012 में बीजेपी से वयोवृद्ध नेता तेलूराम काम्बोज विजयी हुए। इनके निधन पर उपचुनाव हुआ तो बीजेपी से ही आशु वर्मा मेयर चुने गए।
- 2017 में सीट फिर महिला आरक्षित हुई। बीजेपी से आशा शर्मा ने जीत दर्ज कराई।
वार्डों में भी सबसे ज्यादा बीजेपी के मेंबर
गाजियाबाद नगर निगम में 100 वार्ड हैं। 2017 के चुनाव में 61 पर बीजेपी, 5 पर सपा, 12 पर बसपा, 15 पर कांग्रेस और 7 पर अन्य जीते थे। आम आदमी पार्टी को नेशनल पार्टी का दर्जा मिलने के बाद पदाधिकारी खासे उत्साहित हैं। वे चाहते हैं कि इस बार गाजियाबाद में सभी 100 वार्डों में चुनाव लड़ा जाए। कुछ वार्ड मुस्लिम बाहुल्य होने की वजह से असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM भी कई नगर पालिका-पंचायतों में ताल ठोकने जा रही है।