‘अम्बेडकर की मूर्तियों के नाम पर कब्जाई जा रही जमीनें…’, आज़म खान के बयान पर होगा एक्शन

लखनऊ। आपराधिक मामलों में दोषी पाए जाने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता आजम खान की विधायकी जा चुकी है और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म भी इन्ही कारणों से स्वार विधानसभा सीट से विधायक नहीं रहे हैं। अब उसने आजम खान के 7 साल पुराने विवादित बयान पर एक्शन हो सकता है, जिसमें उन्होंने संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की मूर्तियों के नाम पर जमीनें कब्जा करने का आरोप लगाया था।

आजम खान ने 2016 में गाजियाबाद में एक कार्यक्रम में कहा था कि एक प्रतिमा हर जगह लगाई जा रही है, जिसकी उंगली आगे की ओर होती है। उन्होंने बसपा पर तंज कसते हुए लिमिट पार कर दी थी और कहा था कि पिछली सरकार ने कई जगह एक मूर्ति लगाई। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सैकड़ों जगह पर एक साहब की प्रतिमा लगी है, उसमें उनकी उंगली कुछ खास इशारा करती है। प्रतिमा कह रही है कि यह जमीन मेरी है, लेकिन सामने वाला प्लाट भी तो मेरा ही है। हर प्रतिमा में उंगली आगे की तरफ होती है। इस प्रतिमा के यह मायने थे कि जहां मूर्ति लगी है वह जमीन तो मेरी है लेकिन सामने वाली भी मेरी ही है।

सपा महासचिव ने भले ही यह बयान बसपा पर हमला करते हुए दिया था, लेकिन इसका फायदा उठाने की कोशिश में भाजपा जुट गई है। 14 अप्रैल को भाजपा पूरे यूपी में आंबेडकर जयंती के कार्यक्रम करने जा रही है। इस दौरान उसने आजम खान के बयान के बहाने सपा को टारगेट करने का फैसला लिया है। हाल ही में रायबरेली में हुए एक आयोजन में अखिलेश यादव ने बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि अब आंबेडकरवादियों और लोहियावादियों के साथ आने का समय है।

अखिलेश के प्रयासों को आजम के जरिए आईना दिखाएगी भाजपा?
अखिलेश यादव की इस कोशिश को दलित वोटों पर दावेदारी से जोड़कर देखा गया था, लेकिन अब उनकी कोशिश की काट भाजपा आजम खान के बयान से करने जा रही है। भाजपा आजम खान के बयान को याद दिलाते हुए सपा को दलित विरोधी बताने का प्रयास करेगी। मायावती की बसपा बीते कई चुनावों से कमजोर प्रदर्शन कर रही है। ऐसे में उनके परंपरागत दलित वोटों पर भी सपा और भाजपा की नजर है और दोनों उसकी दावेदारी के लिए दांवपेच चल रही हैं।

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