‘जो केंद्र में हैं वो उन्हीं के एजेंट’, ओवैसी पर नीतीश का पलटवार

बिहार सीएम नीतीश कुमार

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एजेंट करार दिया है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि जब उन्होंने बीजेपी से अपनी राह अलग की थी तो ओवैसी ने उनसे मिलने की कोशिश की थी।

नितीश कुमार ने लिखा कि सासाराम और नालंदा जिले के बिहारशरीफ में रामनवमी पर हुई हिंसा को साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में सब जगह शांति है। जानबूझकर हिंसा कराई गई थी। इसमें प्रशासन की कोई विफलता नहीं है। सीएम नीतीश ने आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझकर साजिश करके तनाव फैलाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इशारों-इशारों में बीजेपी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी हमला बोला।

सीएम नीतीश ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहारशरीफ और सासाराम में एक-एक घर में जाकर चेकिंग हो रही है। कुछ दिन के बाद आप लोगों को पता चल जाएगा कि साजिशकर्ता कौन हैं। यह सब जानबूझकर किया गया है। सीएम नीतीश ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का नाम लिए बिना कहा कि एक जगह पर उन्हें जाना था वहां जानबूझकर (दंगा) करवाया। दूसरी जगह का नाम बिहारशरीफ है। इसका नाम पूरे राज्य के नाम पर रखा गया है। बिहारशरीफ में धंधा करने की कोशिश की गई है, वो कुछ दिन के बाद पता चल जाएगा।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि वे लोग कुछ न कुछ बोल देते हैं। हमने अपने लोग लगाए हुए हैं, एक-एक घर में जाकर चेक कर रहे हैं। कहीं कुछ नहीं है। जांच चल रही है। हमारी लोगों से अपील है कि आपस में ये सब नहीं होना है। आज तक (हिंसा) नहीं हुई, तो अचानक वहां क्यों हो गई?

मुसलमानों के लिए चिंतित दिख रहे ओवैसी
ओवैसी ने नीतीश कुमार पर हमला बोला और कहा ‘आप इफ्तार पार्टी में टोपी पहन कर और शॉल ओढ़ कर अपना गुनाह नहीं छुपा सकते। कानून-व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। सासाराम और बिहारशरीफ में हिंसा हुई तो यह नीतीश कुमार की सरकार की नाकामी है। बिहारशरीफ नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में आता है। खुफिया रिपोर्ट भी जरूर सरकार के पास आयी होगी। 2016 में भी बिहारशरीफ में इसी तरह की हिंसा हुई थी। नीतीश बताएं कि उन्होंने आरोपियों के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई अब तक की है। उपद्रवियों ने सौ साल पुराने मदरसे में आग लगा दी, मस्जिद को नुकसान पहुंचाया। आश्चर्य यह कि नीतीश कुमार ने खेद तक प्रकट नहीं किया। तेजस्वी यादव भी सामने बोलने के बजाय ट्वीट तक ही सीमित रहे। दोनों में से कोई मौका-ए-वारदात पर नहीं गया। राज्य सरकार इस मामले में पूरी तरह विफल रही।’

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