अमेरिका के बाद अब जर्मनी ने भी की राहुल गांधी विवाद पर टिप्पणी, बीजेपी भड़की

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नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने का मामला विदेश में भी तूल पकड़ता जा रहा है। देश की राजनीति में तो इसको लेकर तो घमासान मचा ही हुआ है लेकिन अब विदेशों से भी इसको लेकर प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। अमेरिका के बाद अब जर्मनी ने राहुल गांधी विवाद को लेकर टिप्पणी की है। इस पर भाजपा भड़क गयी है।

जर्मनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, “हम भारत में विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी के खिलाफ आए अदालत के फैसले और उनकी संसद सदस्यता रद्द होने के मामले पर नजर बनाए हुए हैं। राहुल गांधी फैसले के खिलाफ अपील करने की स्थिति में हैं। अपील के बाद स्पष्ट होगा कि कि फैसला कायम रहेगा या नहीं और उनकी संसद सदस्यता रद्द करने का कोई आधार है या नहीं। हम उम्मीद करते हैं कि न्यायिक स्वतंत्रता और मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन किया जाएगा।”

इस पर दिग्विजय ने गुरुवार को एक ट्वीट किया है। दिग्विजय ने कहा, “राहुल गांधी के उत्पीड़न के माध्यम से भारत में लोकतंत्र के साथ समझौता किया जा रहा है। इस मुद्दे पर ध्यान देने के लिए जर्मनी सरकार का धन्यवाद।”

इसके बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने दिग्विजय सिंह के ट्वीट के जवाब में लिखा कि ‘विदेशी ताकतों को भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने के लिए आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद राहुल गांधी। याद रखें, भारतीय न्यायपालिका विदेशी दखल से प्रभावित नहीं हो सकती। भारत अब विदेशी ताकतों के दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।’

वित्त मंत्री ने चीन के मामले पर घेरा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी दिग्विजय सिंह के ट्वीट का जवाब देते हुए ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने चीन का मामला उठा दिया। निर्मला सीतारमण ने लिखा कि ‘साफ है कि कांग्रेस हमारे आंतरिक मामलों में विदेशी दखल चाहती है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ अपारदर्शी एमओयू पर हस्ताक्षर करना हो या फिर विदेश में चर्चा के दौरान सरकार बदलने के लिए विदेशी मदद की मांग। अब कोई और सबूत भी चाहिए? जब मदद आ जाए तब धन्यवाद कहिएगा।’

इस इससे पहले अमेरिका ने कहा था कि राहुल गांधी के मामले पर नजर है और वाशिंगटन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित लोकतांत्रिक सिद्धांतों को लेकर साझा प्रतिबद्धता पर भारत के साथ काम करता रहेगा। विदेश विभाग की ओर से कहा गया था कि कानून के शासन और न्यायिक स्वतंत्रता का सम्मान लोकतंत्र का आधार है।

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