नई दिल्ली। मोदी सरनेम वाले बयान के बाद राहुल गांधी कोर्ट ने 2 साल की सजा सुना दी है। भारतीय जनता पार्टी राहुल के बयान को ओबीसी का अपमान बताते हुए कांग्रेस नेता पर हमला बोल दिया है। इन सबके बीच कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रेणुका चौधरी ने पीएम नरेंद्र मोदी के एक बयान को लेकर कोर्ट जाने का ऐलान कर दिया है।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रेणुका चौधरी ने गुरुवार को कहा कि राहुल गांधी को 2019 के मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाना विचित्र है। ” उन्होंने (पीएम मोदी) ने मुझे सदन के पटल पर शूपर्णखा के रूप में संदर्भित किया।” रेणुका चौधरी ने ट्वीट किया, “राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए माफी नहीं मांगना चुना। उन्होंने फासीवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए माफी नहीं मांगी। उन्होंने सच बोलने के लिए माफी नहीं मांगी।”
समझिए क्या है मामला
दरअसल, 7 फरवरी 2018 को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी के बयान पर चुटकी ली थी। पीएम ने कार्यवाही के दौरान अपने भाषण में कहा था, ‘मेरी प्रार्थना है कि रेणुका जी को कुछ नहीं कहिए। रामायण सीरियल के बाद ऐसी हंसी सुनने का आज सौभाग्य मिला है।’ पीएम के इस बयान के बाद सदन में ठहाका गूंज उठा और बीजेपी के सांसद मेज थपथपाने लगे थे।
क्या इस बयान को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?
संविधान के आर्टिकल 122 के तहत कोर्ट संसद की कार्यवाही पर टिप्पणी या उसकी जांच नहीं कर सकता है। इस अनुच्छेद के तहत संसद की कार्यवाही की वैलिडिटी को चुनौती नहीं दी जा सकती है। इस कार्यवाही में किसी प्रकार की कथित तौर पर अनिमितता का हवाला देकर इसे कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। इसके अलावा संसद का कोई अधिकारी या सांसद जिसको संविधान के तहत कुछ अधिकार दिए गए हैं उसके काम को या जो संसद के अधिकारक्षेत्र में आता वो कोर्ट की जांच के दायरे में नहीं आता है। ठीक इसी तरह संविधान के आर्टिकल 212(2) के तहत राज्यों की विधानसभाओं में की कार्यवाही को भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। या उस कार्यवाही पर सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं।
अध्यक्ष या सभापति के पास अधिकार
अगर सदन की कार्यवाही के दौरान कोई सदस्य ऐसे शब्दों का चयन करते हैं जो सदन के मर्यादा के अनुकूल नहीं है तो उसको कार्यवाही से हटाने का फैसला राज्यसभा के सभापति या लोकसभा के अध्यक्ष के पास होता है। पीएम मोदी ने जो बयान दिया था, उसे सदन की कार्यवाही से हटाया भी नहीं गया था।