इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में कोर्ट ने एक लड़की को पॉक्सो एक्ट में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। ऐसा पहली बार है जब किसी युवती को पॉक्सो एक्ट में सजा हुई है। मामला नाबालिक लड़के के शारीरिक शोषण से जुड़ा है।
अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) जिला इंदौर ने थाना बाणगंगा के अपराध में निर्णय पारित करते हुए आरोपी महिला उम्र 19 साल निवासी राजस्थान को धारा 5एल/6 पॉक्सो एक्ट में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 363 भादंवि में 5 वर्ष का सश्रम कारावास व तीन हजार रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक सुशीला राठौर एवं एडीपीओ अमिता जायसवाल ने की। पीड़ित बालक को 50 हजार रुपए की प्रतिकर राशि दिलवाने की भी अनुशंसा की गई है।
बाणगंगा थाने में दर्ज हुआ था मामला
5 नवंबर 2018 को पीड़ित बालक की मां ने पुलिस थाना बाणगंगा में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि वह इंदौर में रहती है और चूड़ी बनाने का काम करती है। 3 नवंबर 2018 को शाम 8 बजे उसका लड़का उम्र 15 साल खीर के लिए दूध लेने दुकान पर गया था, जो वापस घर पर नहीं आया है। उसे कोई अज्ञात व्यक्ति बहला-फुसलाकर भगाकर ले गया है। उसने अपने लड़के को आसपास एवं रिश्तेदारों में काफी तलाश किया, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। पुलिस ने जांच कर बालक को ढूंढ निकाला।
उसने अपने बयान में पुलिस को बताया कि आरोपी महिला उसे बहला-फुसलाकर घूमने चलने का बोलकर गुजरात ले गई जहां उसने उसे टाईल्स फैक्ट्री में काम पर लगा दिया और उसके साथ 5-6 बार शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया और मम्मी पापा से फोन पर भी बात नहीं करने दी। उसका फोन भी अपने पास रख लिया था। बालक का मेडिकल परीक्षण करवाया गया एवं आरोपी महिला को गिरफ्तार किया गया। अभियोग-पत्र न्यायालय में पेश किया गया। जिस पर से आरोपी महिला को सजा सुनाई गई।
क्या है पॉक्सो ऐक्ट?
किसी भी नाबालिग यानी 18 साल से कम उम्र के बच्चे का शारीरिक शोषण पॉक्सो एक्ट के दायरे में आता है। यह कानून नाबालिग लड़का और लड़की, दोनों को बचाता है। ऐसे केस की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है। पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चों को सेक्शुअल असॉल्ट, सेक्शुअल हरासमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से प्रोटेक्ट किया गया है।
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