लखनऊ। उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं। नगर निगम के मेयर, नगर पालिका नगर पंचायत के अध्यक्ष और वार्ड पार्षद सीटों के लिए ओबीसी आरक्षण को तय करने के लिए गठित पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। अब निकाय चुनाव की तारीख को लेकर जल्द बड़ा एलान होने की संभावना है।
आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय टीम ने 350 पेज की रिपोर्ट सौंपी है। आयोग को अदालत से तीन महीने में सर्वेक्षण रिपोर्ट देने का समय तय किया गया था। आयोग ने उससे पहले ही रिपोर्ट सौंप दी है। इसी रिपोर्ट के आधार पर नगरीय निकाय चुनाव में सीटों के आरक्षण में ओबीसी की हिस्सेदारी नए सिरे से तय की जाएगी। अब शुक्रवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट रखी जाएगी। कैबिनेट से हरी झंडी मिलने के बाद इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देते हुए यूपी में निकाय चुनाव कराने की अनुमति मांगी जाएगी।
यूपी निकाय चुनाव के लिए जारी आरक्षण सूची पर आपत्ति जताते हुए तमाम लोगों ने अदालत में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए बिना आरक्षण के ही चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद विपक्षी दलों ने योगी सरकार को ओबीसी विरोधी बताते हुए हमला बोल दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ओबीसी आयोग का गठन करके 31 मार्च 2023 तक जिलों का सर्वे कराकर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे। सरकार ने दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट के जस्टिस रहे राम औतार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय ओबीसी आयोग का गठन किया था।
दो माह दस दिन में तैयार की रिपोर्ट
आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राम अवतार सिंह की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल और प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात की मौजूदगी में यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी। आयोग ने दो माह 10 दिन में यह रिपोर्ट तैयार की है।