नागपुर। शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न विद्रोही (एकनाथ शिंदे) गुट को आवंटित करने के लिए रविवार को चुनाव आयोग पर निशाना साधा और उसे सत्ता में बैठे लोगों का गुलाम करार दिया। उन्होंने कहा कि यह चुनाव आयोग नहीं, बल्कि ‘चूना लगाव आयोग’ है।
चुनाव आयोग के फैसले के बाद अपनी पहली रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ने कहा कि उनके पिता दिवंगत बाल ठाकरे द्वारा गठित पार्टी को आयोग कभी भी उनसे नहीं छीन सकता। उन्होंने कहा कि भाजपा को जब राजनीतिक रूप से अछूत माना जाता था तब बाल ठाकरे उसके साथ खड़े हुए थे। उद्धव ने भाजपा को चुनौती दी कि वह महाराष्ट्र में बाल ठाकरे के बजाय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट मांगकर दिखाए।
उद्धव ने लगाया आरोप
साथ ही आरोप लगाया कि भाजपा शिवसेना को बर्बरतापूर्वक और क्रूरता से खत्म करना चाहती है, लेकिन वह सफल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पहले साधु-संत भाजपा का हिस्सा हुआ करते थे, लेकिन अब पार्टी में अवसरवादी भरे हुए हैं। रैली में उमड़ी भीड़ की ओर इशारा करते हुए उद्धव ने कहा, ‘मेरे पास आपको देने के लिए कुछ नहीं है। मैं आपसे आशीर्वाद और समर्थन मांगने आया हूं।’
चुनाव आयोग के फैसले को स्वीकार करने से किया इन्कार
खेड़ विधानसभा क्षेत्र तटीय कोंकण इलाके में है और यह ठाकरे के पूर्व विश्वस्त रामदास कदम का क्षेत्र है जो अब शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं। चुनाव आयोग के फैसले को स्वीकार करने से इन्कार करते हुए उद्धव ने कहा, ‘अगर चुनाव आयोग को मोतिया बिन नहीं है तो उसे यहां आकर जमीनी स्थिति देखनी चाहिए। आयोग ने जिस सिद्धांत के आधार पर फैसला लिया है, वह गलत है।’
उन्होंने कहा कि पार्टी ने आयोग के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। उद्धव ने कहा, ‘सबसे ज्यादा भ्रष्ट लोग भाजपा में हैं। पहले वे विपक्ष के लोगों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं। फिर भ्रष्टाचार के आरोपितों को भाजपा में शामिल कर लिया जाता है।’ उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे ने जिस तरह मेरे पिता को चुरा लिया, उसी तरह भाजपा ने सरदार वल्लभ भाई पटेल और सुभाष चंद्र बोस को चुराया है क्योंकि उसके पास अपना आइकन नहीं है।