लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व विदेश और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के अपने बयान ‘रिश्ते में हम तुम्हारे बाप लगते हैं,’ के बयान मामले में राहत दी है। कोर्ट ने मामले में उनके द्वारा खेद जताने पर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने बयान पर खेद व्यक्त किया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि उसका इरादा कभी भी सीएम योगी आदित्यनाथ या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था।
सलमान खुर्शीद द्वारा पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में अभद्र टिप्पणी करने के बाद मामला दर्ज किया गया था। 2019 के लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री से पत्रकारों ने सीएम योगी आदित्यनाथ की उस टिप्पणी के बारे में पूछा था जिसमें उन्होंने कहा था कि खुर्शीद बाटला हाउस के आरोपियों / आतंकवादियों के हमदर्द थे। जिसके जवाब में कांग्रेस नेता ने सीएम योगी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करते हुए कहा, “रिश्ते में हम उनके बाप लगते हैं।”
सलमान खुर्शीद ने जताया खेद तो हाईकोर्ट ने रद्द की कार्यवाही
जस्टिस दिनेश कुमार सिंह द्वारा सोमवार को पारित एक आदेश में अदालत ने कहा कि पूरी कार्यवाही 2019 में दर्ज मामले से शुरू हुई है जो विशेष न्यायाधीश (एससी / एसटी अधिनियम) फर्रुखाबाद की अदालत में पेंडिंग है, जिसे रद्द कर दिया जाता है।” आदेश में कहा गया है, “याचिकाकर्ता ने अपनी आपत्तिजनक टिप्पणी पर खेद जताया है, जिसका मतलब है कि उसमें अभी भी सीखने और और अपनी गलती को बहादुरी से मानने की भूख है।”
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, “सलमान खुर्शीद द्वारा प्रस्तुत हलफनामे के मद्देनजर और मामले के समग्र तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए जिस संदर्भ में उन्होंने आपत्तिजनक वाक्य बोला था, इस टिप्पणी के लिए उन्हें खेद है। ऐसे में मेरा विचार है कि उनके खिलाफ कार्यवाही करना सही नहीं होगा।”
योगी आदित्यनाथ का अपमान करने का नहीं था इरादा
अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता ने अपनी टिप्पणी पर खेद व्यक्त किया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि उनका इरादा किसी की या योगी आदित्यनाथ की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था और उन्होंने पत्रकारों द्वारा पूछे गए कुछ सवालों का जवाब देते हुए केवल हल्के-फुल्के अंदाज में वह बयान दिया था। मेरा विचार है कि विवादित कार्यवाही को रद्द कर दिया जाना चाहिए।” खुर्शीद के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता एसजी हसनैन और अधिवक्ता सैयद मोहम्मद फ़ज़ल ने अदालत में कहा कि बयान हल्की शैली में दिया गया था जो कि मुख्यमंत्री का अपमान करने के इरादे से नहीं बल्कि फिल्म ‘शहंशाह’ का एक फेमस डायलॉग है।”