चेन्नई। वर्ल्ड कनफेडरनेशन ऑफ तमिल्स के अध्यक्ष पी नेदुमारन का दावा है कि लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन जिंदा हैं और उनका स्वास्थ्य ठीक है। वह जल्द ही सामने आएंगे और वह इलम तमिल्स के बेहतरी के लिए एक योजना पेश करेंगे।
तंजावुर के मुल्लीवैक्कल मेमोरियल में मीडिया से बात करते हुए नेदुमारन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय हालत एवं सिंहली लोगों के ताकतवर विद्रोह ने प्रभाकरन के सामने आने का उपयुक्त माहौल बनाया है। उन्होंने कहा कि सिंहली लोगों का विद्रोह जो कि राजपक्षे के शासनकाल में दबा दिया गया था, वह अब रंग ला रहा है। नेदुमारन ने कहा कि प्रभाकरन के बारे में अब तक जो अटकलें एवं संदेह जताए गए थे, उनकी इस घोषणा के बाद ऐसी सभी बातों पर विराम लग जाएगा।
प्रभाकरन के साथ एकजुटता दिखाने की अपील
उन्होंने दुनिया भर के तमिल एवं इलम तमिल लोगों को एकजुट रहने और प्रभाकरन को अपना पूरा समर्थन देने की अपील की है। नेदुमारन ने तमिलनाडु सरकार, अन्य दलों एवं राज्य के लोगों को प्रभाकरने के साथ एकजुटता दिखाने की भी अपील की है।
2009 में श्रीलंका ने प्रभाकरन को मृत घोषित किया
श्रीलंका के उत्तर और पूर्व प्रांत में एक स्वतंत्र तमिल राज्य बनाने के लिए हिंसक अभियान चलाने वाले प्रभाकरन को श्रीलंका सरकार ने 18 मई 2009 को मृत घोषित कर दिया। हिंसक एवं अलगाववादी आंदोलन चलाने पर दुनिया के 32 देशों ने लिट्टे को आतंकवादी संगठन घोषित किया था। श्रीलंका सरकार ने बताया कि वह 17 मई, 2009 को उस समय मारा गया जब देश के उत्तरी भाग में श्रीलंकाई सैनिक उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। अगले दिन उसका शव श्रीलंकाई मीडिया पर दिखाया गया था। एक हफ्ते बाद LTTE के प्रवक्ता सेल्वारासा पथ्मनाथान ने इसकी पुष्टि की थी। दो हफ्ते बाद डीएनए टेस्ट में भी ये कहा गया कि ये शव प्रभाकरन का ही है। इस दौरान उसके बेटे एंथनी चार्ल्स की भी मौत हो गई थी।
- LTTE श्रीलंका का आतंकी संगठन है। श्रीलंका का ये अलगाववादी संगठन तमिलों के लिए अलग राष्ट्र की मांग के साथ बना था। इस संगठन का नेता वेलुपिल्लई प्रभाकरन था।
- 1976 में इस संगठन ने विलिकाडे में नरसंहार कर अपनी हिंसक और मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। संगठन धीरे-धीरे अपनी पकड़ बढ़ाता गया। इस दौरान इस संगठन ने कई बार श्रीलंकाई नेताओं को अपना निशाना बनाया।
- 80 के दशक के बाद संगठन को अन्य देशों से भी सहयोग मिलने लगा और इसकी ताकत बढ़ने लगी। 1985 में श्रीलंका सरकार और तमिल विद्रोहियों के बीच शांति वार्ता की पहली कोशिश की गई जो नाकाम रही।
पूर्व पीएम की हुई थी हत्या
LTTE की मौजूदगी से श्रीलंका में गृह युद्ध शुरू हो गया। इसे शांति करने के लिए 29 जुलाई 1987 को भारत और श्रीलंका के बीच शांति समझौते हुआ। 1987 में LTTE लड़ाकों से मुकाबले के लिए भारत ने भी अपनी सेना श्रीलंका भेजी थी। भारत के इस कदम से LTTE भारत के खिलाफ हो गया और उसने बदला लेने की ठानी। राजीव गांधी की हत्या के साथ LTTE का बदला पूरा हुआ।