गाजियाबाद: दृश्यम फिल्म देखकर रची थी स्कॉलर की हत्या की साजिश

मृतक अंकित

गाजियाबाद। मोदीनगर में पीएचडी छात्र अंकित खोखर की हत्या के मामले में चौंकानै वाला खुलासा हुआ है। हत्याकांड के आरोपित उमेश ने उसकी हत्या की साजिश काफी दिन पहले रची थी। उसने फिल्म दृश्यम, बेब सीरीज, यूट्यूब पर ऐसी जानकारी जुटाई थी, जिससे कि वह हत्या करने के बाद खुद को बचा सके।

पूछताछ में उमेश शर्मा ने बताया कि उसने अजय देवगन की फिल्म दृश्यम देखी थी। इससे सीखा कि हत्या के बाद शव को कैसे ठिकाने लगाया जाता है। इस फिल्म में हीरो पुलिस अधिकारी की बेटे की हत्या करके लाश छिपा देता है। इसके बाद वह एक फर्जी कहानी तैयार करता है। इसके साक्ष्य जुटाता है। इसी की तर्ज पर अंकित की हत्या के बाद उसने फर्जी कहानी बनाई। यह कहानी अंकित को जीवित साबित करने की थी। उसे मालूम था कि पुलिस किसी के लापता होने की शिकायत आने पर मोबाइल की लोकेशन चेक करती है। अगर एटीएम से पैसे निकाले गए हों तो इसकी फुटेज निकलवाती है।

साथ ही उसने बेबसीरिज, यूट्यूब पर चीरफाड़ करने का तरीका सीखा। उसने सबसे पहले अंकित की गला दबाकर हत्या की। इसके बाद मार्केट से सर्जिकल आरी लाया और लाश के तीन-चार टुकड़े किए फिर उन्हें अलग-अलग जगह फेंक दिया। चार दिन के ऑपरेशन के बावजूद पुलिस लाश का एक भी टुकड़ा खोज नहीं पाई है।

इसके बाद आरोपी उमेश शर्मा ने अपनी पत्नी की बुआ के बेटे प्रवेश को अंकित का मोबाइल एटीएम कार्ड और बाइक दे दिए। उससे कहा था कि वह हेलमेट पहनकर ही बाइक चलाए। साजिश यह थी कि अगर पुलिस अंकित के मोबाइल की लोकेशन मालूम करके टोल प्लाजा या कहीं और से फुटेज निकलवाएगी तो अंकित की बाइक नजर आएगी। हेलमेट की वजह से चेहरा दिखेगा नहीं और पुलिस प्रवेश को ही अंकित समझ लेगी।

आरोपी उमेश और प्रदीप

अगर इसके बाद एटीएम बूथ के सीसीटीवी की फुटेज निकलवाई तो पुलिस प्रवेश को अंकित समझेगी। उसका पुलिस से कहना था कि उसने सुन रखा था कि एटीएम बूथ के कैमरे बहुत अच्छे नहीं होते हैं, इनमें फुटेज स्पष्ट नहीं आती है। अंकित और प्रवेश की कद-काठी काफी मिलती है। प्रवेश एटीएम से कैश निकालने अंकित का मोबाइल फोन लेकर ही गया था। इसलिए, लोकेशन से यही पता चलता कि अंकित ही रकम निकाल रहा है। उसने अंकित बनकर उसके दोस्तों को पहले ही मेसेज कर दिया था कि वह उत्तराखंड जा रहा है। उमेश ने पुलिस को बताया कि साथी प्रवेश को डेबिट कार्ड से पैसे निकालने के लिए अंकित का मोबाइल फोन देकर हरिद्वार, रुड़की व ऋषिकेश भेजा और वहां की लोकेशन दिखाने के लिए मोबाइल आन कराया।

दोस्तों की वजह से हुआ खुलासा
हत्या के बाद उमेश अंकित का फोन इस्तेमाल कर रहा था। वह किसी की कॉल रिसीव नहीं करता था लेकिन व्हाट्सएप पर अंकित बनकर जवाब देता था। अंकित के दोस्तों का इससे शक बढ़ता गया। अंकित के दोस्त उमेश को फोन करके पूछ रहे थे कि वह कहां है, फोन क्यों नहीं उठा रहा। उमेश ने जवाब दिया कि वह उत्तराखंड गया है। इसके बाद उसने अंकित के मोबाइल पर मेसेज टाइप कर खुद के मोबाइल पर भेजा। मेसेज में लिखा था, यहां बहुत मन लग रहा है और ये लोग आने भी नहीं दे रहे हैं, अभी मैं यहीं रहूंगा। उमेश ने अंकित के दोस्तों को यह मेसेज भेजा।

दोस्तों ने पूछा कि वह किस तारीख को गया? इसके जवाब में उमेश गलती कर बैठा। उसने अलग-अलग दोस्त को अलग-अलग तारीख बताई। विशाल को 23 अक्तूबर बताई, ज्योति को 12 नवंबर। उसे नहीं मालूम था कि सभी दोस्त हर मेसेज पर आपस में चर्चा करते हैं। अलग-अलग तारीख से शक की सूई उमेश पर टिक गई। अंकित के लखनऊ में रहने वाले दोस्तों राजीव, प्रशांत, विक्रांत व रूपेश शर्मा को शक हुआ तो वे दोस्ती का फर्ज निभाने लखनऊ से मोदीनगर पहुंच गए। दोस्तों के शक के आधार पर ही पुलिस ने पूरी जांच की। यदि अंकित के दोस्त पुलिस तक न पहुंचते तो उसकी हत्या का पता ही नहीं चलता।

दोस्त विशाल शर्मा ने बताया कि वे अंकित के घर गए। वहां उसकी दो में से एक बुलेट बाइक नहीं थी। इस पर शक और गहरा गया। उन्होंने बैंक में अपने परिचित के माध्यम से अंकित के खाते की डिटेल निकलवाई। छह अक्तूबर के बाद से खाते से 21 लाख से ज्यादा निकल चुके थे। उन्हें आशंका हुई कि उसका अपहरण हुआ है और कोई उसे बंधक बनाकर खाता खाली कर रहा है। इस पर सभी दोस्तों ने चार दिसंबर को व्हाट्सएप ग्रुप बना लिया। इसमें दुबई में काम करने वाली ज्योति सहित 14 और दोस्त जोड़े। ये सभी लोग अंकित के साथ पढ़े थे। सभी ग्रुप पर अंकित से जुड़ी हर बात साझा करने लगे। नौ दिसंबर को पुलिस के पास गए तो पुलिस ने यह कहकर टरका दिया कि जाओ, हम ढूंढ लेंगे। इस पर वे बैंक की डिटेल, बाइक न मिलने और व्हाट्सएप मेसेज की फोटो कॉपी कराकर पुलिस के पास आए। पुलिस ने 12 को गुमशुदगी दर्ज की और मकान मालिक से पूछताछ की। तब जाकर केस खुला।

जर्मनी से पोस्ट डॉक्टरेट फैलोशिप करना चाहता था अंकित
PhD स्कॉलर अंकित खोखर का सपना जर्मनी से पोस्ट डॉक्टरेट फैलोशिप करने का था। अंकित ने पासपोर्ट के लिए अप्लाई कर दिया था। उसने जमीन भी इसलिए बेची थी ताकि जर्मनी जाकर पढ़ाई कर सके। उसका यह सपना अधूरा ही रह गया।

जिसे माना बहन वो खुद थी हत्या की साजिश में शामिल
अंकित खोखर ने मकान मालिक की पत्नी से राखी बंधवाई थी और उसे अपनी बहन मानकर उमेश को जीजा कहता था लेकिन हत्या के बाद जब कमरे में खून फैल गया तो उसे साफ करने का काम किसी और ने नहीं बल्कि उमेश की पत्नी ही ने किया था। उसे यह पता ही नहीं चला कि जिन लोगों पर सबसे ज्यादा भरोसा कर रहा है, वे ही उसकी जान के दुश्मन बनेंगे।

नहीं मिले शव के टुकड़े
अंकित की हत्या में पुलिस के सामने बड़ी चुनौती उसके शव के टुकड़े बरामद करने की है। हत्या के आरोपी उमेश शर्मा ने बताया है कि उसने चार टुकड़े करके एक खतौली गंगनहर, दो मसूरी गंगनहर और एक ईस्टर्न पेरिफेरेलवे पर फेंका था। पुलिस टुकड़ों को बरामद नहीं कर सकी है। डीसीपी ग्रामीण जोन डॉ. ईरज राजा का कहना है कि उमेश को रिमांड पर लेकर शव बरामद करने का प्रयास किया जाएगा। उनका दावा है कि अगर शव नहीं मिलता है तो भी पुलिस के पास सजा दिलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं।

क्या है मामला?
बागपत जिले के गांव मुकंदपुर निवासी 39 वर्षीय अंकित खोखर लखनऊ की डॉक्टर भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी से PhD कर रहा था। वो गाजियाबाद के कस्बा मोदी नगर स्थित राधा ऐनक्लेव में उमेश शर्मा के मकान में किराये पर रह रहा था। 7 अक्टूबर 2022 को अंकित अचानक लापता हो गया। पुलिस ने खुलासा किया कि मकान मालिक उमेश शर्मा ने ही एक करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा हड़पने की नीयत से अंकित को गला दबाकर मार डाला और लाश के टुकड़े करके उन्हें कई जगह पर फेंक दिया था।

अंकित के माँ-बाप नहीं थे इसीलिए अपनी जमीन को बेच दिया इससे अंकित को संपत्ति का एक करोड़ मिला और उसने इसे खाते में जमा कराया। उमेश की अंकित की रकम पर नजर थी इसी साजिश के तहत उसने उससे 40 लाख रुपये उधार लिए। अंकित को उस पर भरोसा था, इसलिए दे दिए लेकिन, उमेश का इरादा पूरे एक करोड़ रुपये हासिल करने का था। इसलिए हत्या की साजिश को छह अक्तूबर को अंजाम दिया।

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