अनियमित दिनचर्या के कारण दुनिया के कई देशों में लोग मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में मोटापा कम करने के लिए अधिकांश लोग बैरिएट्रिक सर्जरी करा रहे हैं लेकिन हाल ही एक महिला की बैरिएट्रिक सर्जरी कराने के बाद मौत हो गई।
तुर्की में 30 साल की यह महिला डबलिन, आयरलैंड से आई थी और बैरिएट्रिक ऑपरेशन के दौरान ही उसकी जान चली गई। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर बैरिएट्रिक सर्जरी क्या होती है और क्या वास्तव में इस सर्जरी के होने के बाद स्वास्थ्य लाभ होता है।
जानें क्या होती हैबैरिएट्रिक सर्जरी
गैस्ट्रिक बाईपास के अतिरिक्त अन्य तरह की वेट लॉस सर्जरी को बैरिएट्रिक सर्जरी के रूप में जाना जाता है। बैरिएट्रिक सर्जरी में व्यक्ति के डाइजेस्टिव सिस्टम में कुछ बदलाव किए जाते हैं, जिसकी मदद से वजन कम होता है। ऐसे व्यक्ति की पेट में आहार थैली का आकार छोटा कर दिया जाता है। व्यक्ति के खाने की लिमिट को कम होने से शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण की क्षमता कम हो जाती है और धीरे-धीरे वजन कम होने लगता है।
बैरिएट्रिक सर्जरी ऐसे लोगों का कराना चाहिए जो लोग मोटापे के कारण अन्य दूसरी कई बीमारियों से प्रभावित है, जैसे हृदय संबंधित बीमारियां, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर, नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर की बीमारी, स्लीप एपनिया, टाइप 2 डायबिटीज। आमतौर पर देखने में आता है कि बहुत ज्यादा मोटापा होने के कारण मरीज का हार्मोनल बैलेंस बिगड़ जाता है और इस कारण से शरीर में कई बीमारियों का जन्म हो जाता है।
बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद इन बातों का रखें ध्यान
जहाँ मरीज का ऑपरेशन हुआ है उस जगह को साफ़ और सूखा रखें।सर्जरी के बाद अपनी पट्टी को रोजाना बदलते रहे। सर्जरी के सात से दस दिनों के बाद टांके या स्टेपल को हटा दिया जाता है। इस ऑपरेशन के बाद टाइट कपडे पहनने से बचें।जब तक आपके डॉक्टर न कहें, तब तक आप किसी स्विमिंग पूल, हॉट टब या बाथटब में न जाएँ। सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक लिक्विड डाइट लें। सर्जरी के 3 महीने बाद ही योग या एक्सरसाइज़ शुरूकरें। मरीज के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए डॉक्टर विटामिन और खनिज की खुराक लेने की सलाह दे सकते है।
बैरिएट्रिक सर्जरी में हो सकते हैं ये जोखिम
बैरिएट्रिक सर्जरी कराने के कुछ साइड इफेक्ट भी दिखते हैं। हेल्थलाइन के मुताबिक बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना, इंफेक्शन, एनेस्थीसिया का उल्टा असर, ब्लड क्लॉट बनना, फेफड़े और सांस लेने में दिक्कत, जठरांत्र प्रणाली में रिसाव, कुछ मामलों में इससे मौत भी हो सकती है।
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