नई दिल्ली। गरीब सवर्णों को शिक्षा व सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण के केंद्र सरकार के फैसले पर ‘सुप्रीम’ मुहर लग गई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा ने इसे पीएम नरेंद्र मोदी की जीत बताया है। उधर, कांग्रेस नेता ने कोर्ट के फैसले पर विवादित बयान दिया है।
ईडब्ल्यूएस आरक्षण की वैधता को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सराहना की है। पार्टी ने इसे देश के गरीबों को सामाजिक न्याय प्रदान करने के अपने मिशन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत करार दिया। भाजपा के महासचिव (संगठन) बी. एल. संतोष ने कहा कि शीर्ष न्यायालय ने अनारक्षित वर्गों के लिए ईडब्ल्यूएस आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा है। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरीबों की भलाई की नीति पर मुहर और सामाजिक न्याय की दिशा में एक ओर कदम बताया।
वहीं उदित राज ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट जातिवादी है, अब भी कोई शक! EWS आरक्षण की बात आई तो कैसे पलटी मारी कि 50% की सीमा संवैधानिक बाध्यता नही है लेकिन जब भी SC/ST/OBC को आरक्षण देने की बात आती थी तो इंदिरा साहनी मामले में लगी 50% की सीमा का हवाला दिया जाता रहा।’
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
उदित राज राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को लेकर भी उन्होने बेहद आपत्तिजनक बयान दिया था। 2019 में लोकसभा चुनाव की मतगणना से चार दिन पहले उन्होंने ट्वीट किया, ‘सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं चाहता कि VVPAT की सारी पर्चियों को गिना जाए? क्या वह भी धांधली में शामिल है? चुनावी प्रक्रिया में जब लगभग 3 महीने से सारा सरकारी काम मंद पड़ा हुआ है तो गिनती में 2-3 दिन लग जाए तो क्या फर्क पड़ता है?’ इससे पहले उन्होंने चुनाव को पर भी बिकने का आरोप लगाया था।
10 फीसदी आरक्षण का 103 वां संविधान संशोधन वैध
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा संस्थानों में दाखिलों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को बरकरार रखा है। इससे संबंधित 103वें संविधान संशोधन विधेयक को शीर्ष कोर्ट ने दो के मुकाबले तीन मतों के बहुमत से वैध ठहराया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता।