पटना। आईआरसीटीसी (IRCTC) घोटाला मामले में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को बड़ी राहत मिली है। सीबीआई की विशेष अदालत ने जमानत रद्द करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने तेजस्वी यादव को कोर्ट ने यह हिदायत दी है कि वे सोच समझकर अपने बयान दें। जनता के बीच जब भी बोलें तो सोच-समझकर बोलें। आईआरसीटीसी घोटाले में तेजस्वी 2019 से जमानत पर बाहर हैं लेकिन 25 अगस्त को उन्होंने जांच एजेंसी सीबीआई पर तरह तरह के आरोप लगा दिए जिसके बाद जांच एजेंसी ने अदालत का रुख किया।
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि तेजस्वी द्वारा यह कहने की कोशिश की गई कि सीबीआई किसी के निर्देश पर काम कर रही है। तेजस्वी ने एजेंसी की इमेज खराब करने की कोशिश की। वहीं कोर्ट ने कहा कि हम बेल कैंसल नहीं कर रहे हैं, इसका कोई आधार नहीं है. जज ने आगाह किया कि आप आगे से ऐसा कोई बयान नहीं देंगे। आगे जनता के बीच बोलें तो शब्दों का सही चयन करें।
दरअसल पिछले महीने की 25 तारीख को यानी 25 अगस्त को बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने प्रेस कांफ्रेंस की थी। तेजस्वी ने कहा कि क्या सीबीआई अधिकारियों के मां और बच्चे नहीं होते, क्या उनके परिवार नहीं होते, क्या वे हमेशा सीबीआई में ही बने रहेंगे, क्या वे अवकाश प्राप्त नहीं होंगे, सिर्फ एक ही पार्टी सत्ता में बनी रहेगी, बेहतर है कि आप लोग संविधान के तहत काम करें।
आईआरसीटीसी टेंडर घोटाला
आईआरसीटीसी टेंडर घोटाले में तेजस्वी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 120 बी के साथ साथ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोप पत्र दाखिल है। 2019 में उन्हें जमानत मिली थी और वो तब से जमानत पर हैं। इस मामले में अगर सभी साक्ष्य उनके खिलाफ गए तो सात साल तक की सजा हो सकती है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें और उनकी मां को जमानत दी थी।
2009 में रेल मंत्री थीं ममता बनर्जी और उन्होंने आईआरसीटीसी टेंडर घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। उस समय लालू प्रसाद यादव ने कहा कि घोटाले की बात नहीं है। उन्हें जो जिम्मेदारी दी गई थी उसके ईमानदारी से निभाया था। उन्हें कुछ नहीं पता है। लेकिन सीबीआई की जांच में उनके साथ कुल 14 लोगों को आरोपी बनाया गया। उनके ऊपर आरोप लगा कि रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने अवैधानिक तरीके से एक निजी कंपनी को भुवनेश्वर और रांची के होटलों को चलाने का ठेका दिया था और उसके बदले पटना स्थित सगुना मोड़ पर निजी कंपनी ने तीन एकड़ जमीन दी।