वाराणसी। ज्ञानवापी केस में जिला अदालत वाराणसी ने अहम फैसला सुना दिया है। फैसले के मुताबिक कार्बन डेटिंग नहीं कराई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से वैज्ञानिक जांच नहीं हो सकती है।
जज ए के विश्वेश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि संरचना( शिवलिंग या फव्वारा) को संरक्षित रखने का निर्देश है, लिहाजा कार्बन डेटिंग की मंजूरी नहीं दी जा सकती है। फैसले के दौरान अदालत में कुल 58 लोगों की मौजूदगी में जिला जज ए के विश्वेश ने अपने निर्णय को पढ़ा। जिस समय फैसला सुनाया गया उस वक्त मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील अखलाक अहमद, हिंदू पक्ष की तरफ से हरिशंकर और विष्णु जैन मौजूद थे।
शिवलिंग या फव्वारा पर विवाद
ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान एक संरचना को जहां हिंदू पक्ष शिवलिंग बता रहा है वहीं मुस्लिम पक्ष फव्वारा बताता है। हिंदू पक्ष की तरफ से वाराणसी जिला अदालत में अर्जी दायर की गई थी सभी तरह के संशयों को खत्म करने के लिए कार्बन डेटिंग पर विद्वान जज फैसला सुनाने वाले हैं। इस समय कोर्ट में सिर्फ 62 लोगों को मौजूद रहने का आदेश है।
इस मामले में 11 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी और मामला 14 अक्टूबर के लिए टाल दिया गया था। हिंदू पक्ष की तरफ से एक वादी का कहना है कि इस विषय में फैसले की क्या जरूरत है जब यह सर्वविदित है कि वो शिवलिंग ही है। इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष का तर्क है कि कार्बन डेटिंग तो सजीव चीजों की होती है जिसमें कार्बन के अवशेष हों।