दो गोलियां लगने के बाद भी भिड़ा रहा सेना का ‘जूम’, लश्कर के आतंकियों का कराया सफाया

अनंतनाग। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सोमवार को हुए मुठभेड़ में सेना के दो जवान और एक आर्मी डॉग ‘जूम’ घायल हुआ है। ऑपरेशन के दौरान जूम ने आतंकियों की पहचान की और उसपर हमला कर दिया। उसी दौरान उसे दो गोली भी लगी। गोली लगने के बावजूद वह आतंकियों से लड़ता रहा, जिसके चलते सुरक्षा बलों ने आतंकियों को मार गिराया।

करीब 10 घंटे तक जारी मुठभेड़ मे लश्कर-ए-तैयबा के हिट स्कायड द रजिस्टेंस फ्रंट के दो कमांडर आसिफ अहमद उर्फ हुबैब व वकील अहमद उर्फ तल्हा मारे गए हैं। दो सैन्यकर्मी भी जख्मी हुए हैं। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि आतंकी गांव के भीतरी मोहल्ले में एक मकान में छिपे थे। आतंकियों की सही स्थिति का पता नहीं चल रहा था जिस कारण उनकी गोलीबारी की चपेट में आकर दो सैन्यकर्मी जख्मी हो गए थे।

सोमवार सुबह सेना अपने जांबाज श्वान ‘जूम’ को आतंकियों के ठिकाने पर भेजा। जूम को आतंकरोधी अभियानों का विशेष प्रशिक्षण दिया है वह किसी भी अभियान के दौरान गोलीबारी के बीच आतंकियों की सही स्थिति का पता लगाकर उन पर हमला करने में समर्थ है। इसके अलावा उस पर एक बाडीकैम भी लगाया जा सकता है। अपने मिशन को पूरा करने के लिए आतंकी ठिकाना बने मकान में ‘जूम’ दाखिल हुआ और वह उस जगह पहुंच गया, जहां आतंकी छिपे हुए थे।

आतंकियों की सही पोजीशन का पता चला
‘जूम’ के शरीर पर लगे कैमरे के जरिये जहां सुरक्षाबलों को आतंकियों की सही पोजीशन और संख्या का पता चला। जूम ने खुद आतंकियों को देखकर उन पर झपटा मारने का प्रयास किया। इस पर आतंकियों ने उन पर गोलियां की बरसात कर दी। दो गोलियां ‘जूम’ को लगी और वह वहीं जमीन पर गिर पड़ा, लेकिन तब तक वह अपना काम पूरा कर चुका था। सैन्यकर्मियों ने आतंकियों की सही पोजीशन और संख्या का पता चलते ही अंतिम प्रहार कर उन्हें मार गिराया।

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि ‘जूम’ जख्मी होने के बावजूद अपने मिशन पर डटा रहा। उसकी मदद से दोनों आतंकियों को मार गिराने में सफलता मिली है। ‘जूम’ को सेना के पशु चिकित्सालय में भर्ती कराया है। उसका आपरेशन किया गया है, लेकिन उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। जूम इससे पहले भी कई सक्रिय अभियानों का हिस्सा रहा है।

बता दें कि जूम से पहले इसी साल 30 जुलाई को आर्मी डॉग एक्सल भी इसी तरह आतंकियों से भिड़ गया था। अपनी बहादुरी का नजारा दिखाने के बाद एक्सल शहीद हो गया था। एक्सल को आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर मरणोपरांत वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सेना के कुत्तों की एक बड़ी फौज है। भारतीय सेना अपनी टुकड़ियों में कुत्तों की विभिन्न नस्लें रखती है। इनमें लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड, बेल्जियम मालिंस और ग्रेट माउंटेन स्विस डॉग शामिल हैं। इन कुत्तों की अलग-अलग ड्यूटी होती है। इनमें गार्ड ड्यूटी, पेट्रोलिंग, विस्फोटकों को सूंघना, ड्रग्स व अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं को सूंघना आदि शामिल हैं।

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