कासरगोड। केरल के श्री आनंदपद्मनाभ स्वामी मंदिर की झील का रखवाली करने वाले शाकाहारी मगरमच्छ ‘बाबिया’ का निधन हो गया है। बाबिया पिछले 75 वर्षों से श्री आनंदपद्मनाभ स्वामी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र था। एक जलीय मांसाहारी जीव होने के बावजूद बाबिया सिर्फ प्रसाद था। बाबिया को दुनिया के इकलौता शाकाहारी मगरमच्छ माना जाता है।
यह मगरमच्छ करीबन 70 साल से कासरगोड जिले के श्रीअनंतपद्मनाभस्वामी मंदिर की झील में रहता था। रविवार रात करीब 11.30 बजे उसका शव झील में तैरता मिला। इसके बाद मंदिर प्रशासन ने पशुपालन विभाग और पुलिस को सूचना दी। मगरमच्छ को अंतिम बार देखने के लिए कई राजनेता और सैकड़ों लोग पहुंचे। भीड़ ज्यादा बढ़ने लगी तो शव को झील से हटाकर खुली जगह में रख दिया गया। बाबिया को देखने के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे भी पहुंची। उन्होंने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मगरमच्छ 70 सालों से मंदिर में रहता था। भगवान उसे मोक्ष दे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने कहा कि लाखों भक्तों ने भगवान की छवि देखते हुए मगरमच्छ के दर्शन किए। बाबिया को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
बाबिया के बारे में बताया जाता है कि दिन में दो बार उसे मंदिर का प्रसाद खाने के लिए दिया जाता था। वह चावल और गुड़ से बना दलिया ही खाता था। मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए आने वाले भक्त भी उसे प्रसाद खिलाते थे। लोग इसे भगवान का दूत कहते थे। बबिया जिस झील में रहता था, उसमें मछलियां भी हैं, लेकिन वह कभी भी मछलियों को नहीं खाता था। यहां तक कि झील में नहाने के दौरान भक्तों को भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता था। यह दुनिया में अपनी तरह का इकलौता मगरमच्छ था।
ये है मान्यता
मान्यता है कि सदियों पहले एक महात्मा इसी श्री आनंदपद्मनाभ स्वामी मंदिर में तपस्या करते थे। इस दौरान भगवान कृष्ण बालक रूप में आए और अपनी शरारतों से महात्मा को तंग करने लगे। इससे गुस्साए तपस्वी ने उन्हें मंदिर परिसर में बने तालाब में धक्का दे दिया।
लेकिन जब ऋषि को गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने तालाब में उस बच्चे को ढ़ूढ़ना शुरू किया, लेकिन पानी में उन्हें कोई बालक नहीं और एक गुफानुमा दरार दिखाई दी। माना गया कि भगवान उसी गुफा से गायब हो गए थे। कुछ समय बाद उसी गुफा से निकलकर एक मगरमच्छ बाहर आने लगा।
मंदिर के आसपास रहने वाले वृद्धों का कहना है कि झील में रहने वाला यह तीसरा मगरमच्छ था। वहां पर एक ही मगरमच्छ दिखाई देता था। उसके बूढ़े होकर मर जाने के बाद नया मगरमच्छ अचानक आ जाता था।