दिल्ली। अदालत ने दिल्ली वक्फ बोर्ड भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार आप विधायक अमानतुल्लाह खान की रिमांड अवधि 26 सितंबर तक बढ़ा दी। अमानतुल्लाह को दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार निवारण शाखा (एसीबी) ने गिरफ्तार किया था।
एसीबी ने 16 सितंबर को आप विधायक अमानतुल्ला खान से जुड़े परिसरों में छापेमारी की थी और इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि तलाशी के दौरान ओखला विधायक के रिश्तेदारों और अन्य लोगों ने उनके आवास के बाहर एसीबी टीम पर कथित रूप से हमला किया। मामले में दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि खान ने दिल्ली वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष रहते हुए सभी नियमों और सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए 32 लोगों को अवैध रूप से भर्ती किया।
उसमें कहा गया है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के तत्कालीन सीईओ ने स्पष्ट रूप से एक बयान दिया था और इस तरह की अवैध भर्ती के खिलाफ एक ज्ञापन जारी किया था। प्राथमिकी में कहा गया है कि इसके अलावा, यह आरोप भी लगाया गया था कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में, वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों को अवैध रूप से किराए पर दिया गया और आरोप है कि इसमें भ्रष्टाचार और पक्षपात किया गया।
यह भी आरोप लगाया गया कि खान ने वक्फ बोर्ड के पैसा का दुरुपयोग किया है जिसमें दिल्ली सरकार से सहायता अनुदान के रूप में मिला पैसा भी शामिल है। एसीबी ने खान से 2020 में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज मामले में पूछताछ के लिए 15 सितंबर को नोटिस जारी किया था।
राउज एवन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश विकास ढुल के सामने अमानत की रिमांड अवधि खत्म होने पर पेश किया गया। जांच अधिकारी ने उनकी रिमांड 10 दिनों के लिए बढ़ाने की मांग करते हुए कहा खान के खिलाफ कुछ अहम गवाह मिले हैं। अहम आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है, जिनसे आरोपी नेता का सामना कराना है।
जांच अधिकारी ने अब तक की जांच का पूरा ब्यौरा अदालत के सामने रखा। एजेंसी ने अदालत में कहा कि वक्फ संपत्तियों को किराए पर देने में कथित अनियमितता के मामले में एक गवाह ने बताया है कि किस तरह खान अपने साथियों के साथ मिलकर वक्फ संपत्तियों में सुविधाएं दिलाने के नाम पर लोगों से कथित तौर पर मोटी रकम वसूला करता था और बोर्ड के राजकोष को नुकसान पहुंचा रहा था। दिल्ली वक्फ बोर्ड की एक महिला कर्मी के बयान को आधार बनाते हुए जांच एजेंसी ने अदालत में कहा कि भारत सरकार ने वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया नाम से एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। इसके अंतर्गत वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को कंप्यूटरीकरण होना था, पर आरोपी नेता के कहने पर इस प्रोजेक्ट की फाइलें हटा दी गई थीं।
आरोप लगाया कि खान वक्फ बोर्ड की संपत्तियों से जुड़े मामलों में पारदर्शिता नहीं चाहते थे क्योंकि ऐसा होने से उनकी अवैध गतिविधियों पर लगाम कस जाती। जांच एजेंसी के मुताबिक, अल्पसंख्यक मामलों की ब्रांच के एसडीएम ने अपने बयान में कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड में मानक पद ही नहीं हैं, इसीलिए यहां कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्ति नहीं की जा सकती हैं।
जांच एजेंसी ने अपनी मांग के संबंध में इन तीन बयानों के अलावा और भी कई आधार अदालत के सामने रखे। कौसर इमाम उर्फ लड्डन के घर से मिली डायरियों से कथित तौर पर करोड़ों के लेनदेन का खुलासा हुआ। उनके जरिए अभी तक 37 लोगों के नाम उभर कर आए हैं, जिनकी पहचान स्थापित कर मुख्य आरोपी से उनका सामना कराना है। जांच अधिकारी ने कहा चार दिन की रिमांड के दौरान आरोपी नेता के साथ अस्पताल के चक्कर लगाने में ही खत्म हो गई। वे बीमार होने के चलते अस्पताल में भर्ती रहे और पूछताछ नहीं हो पाई।
इसके अलावा उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया। जामिया नगर पुलिस द्वारा तेलंगाना से गिरफ्तार कौसर के बारे में कहा गया कि यह व्यक्ति एक तरह से मुख्य आरोपी के फंड मैनेजर के तौर पर काम करता था और पैसों के लेनदेन को देखता था। उसे दिल्ली लाए जाने के आधार पर एजेंसी ने अदालत से कहा कि इन दोनों को आमने-सामने बिठाकर मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए करोड़ों के लेनदेन से मिली जानकारी के बारे में इनसे पूछताछ करनी है।