वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन के मामले पर जिला जज अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज कर हिंदुओ के पक्ष में फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामला सुनने योग्य है। मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि ये याचिका सुने जाने योग्य नहीं है। मस्जिद पक्ष ने दलील दी थी कि श्रृंगार गौरी में पूजा करने की याचिका 1991 के पूजा स्थल कानून के खिलाफ है।
ज्ञानवापी मस्जिद हिंदुओं को सौंपने, मुस्लिमों का प्रवेश रोकने और अंदर मिले शिवलिंग की प्रतिदिन पूजा के लिए वाराणसी सिविल कोर्ट में मई 2022 में याचिका डाली गई थी। हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा था कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था। निचली अदालत ने परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण का आदेश दिया था। 16 मई को सर्वे का काम पूरा हुआ और 19 मई को कोर्ट में रिपोर्ट पेश की गई। हिंदू पक्ष ने निचली अदालत में दावा किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान एक शिवलिंग मिला था लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया था। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि ये मुकदमा सुनने योग्य नहीं है, ऐसे में इसे खारिज कर दिया जाए लेकिन सोमवार की सुनवाई में कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ये मामला सुनवाई योग्य है।
जिला जज ने मुस्लिम पक्ष के आवेदन रूल 7 नियम 11 के आवेदन खारिज किया। मुख्य रूप से उठाये गए तीन बिंदुओं प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, काशी विश्वनाथ ट्रस्ट और वक्फ बोर्ड से इस वाद को बाधित नहीं माना और श्रृंगार गौरी वाद सुनवाई योग्य माना। जिला जज ने 26 पेज के आदेश का निष्कर्ष लगभग 10 मिनट में पढ़ा। इस दौरान सभी पक्षकार मौजूद रहे। कोर्ट ने श्रृंगार गौरी वाद की जवाबदेही दाखिल करने और ऑर्डर 1 रूल 10 में पक्षकार बनने के आवेदन पर सुनवाई करेगी।
इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष में खुशी की लहर फैल गई है। । जज ने जैसे ही आदेश दिया, हर-हर महादेव के नारे लगने लगे। अदालत के फैसले से पहले ज्ञानवापी परिसर और धाम क्षेत्र की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार (बांसफाटक) पर कमांडों को तैनात किया गया है। संवेदनशील इलाकों में ब्रज वाहन के साथ ही पुलिस और पीएसी कर्मियों को तैनात किया गया है।