नोएडा। उत्तर प्रदेश के नोएडा में आज ट्विन टावर में ब्लास्ट करा कर इसे जमींदोज कर दिया गया। एक जोरदार धमाके के साथ टावर महज कुछ सेकेंड में धूल और मलबे में बदल गए। ट्विन टावर को बनाने में सुपरटेक ने 200 करोड़ रुपए खर्च किए थे और 800 करोड़ रुपए की आमदनी की उम्मीद थी।
नोएडा के सेक्टर 93 में बने सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर दोपहर ढाई बजे ढहा दिए गए। 100 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले दोनों टावर गिरने में सिर्फ 12 सेकेंड का वक्त लगा। इन्हें गिराने के लिए 3700 किलो बारूद का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद दोनों टावर करीब 80 हजार टन मलबे में तब्दील हो गए। इस मलबे में कॉन्क्रीट और स्टील शामिल हैं, जिसकी कीमत करीब 15 करोड़ रुपए आंकी गई है।
ब्लास्ट से पहले ट्विन टावर की पास की इमारतों में रहने वाले करीब 7 हजार लोगों को सुरक्षित जगह भेजा गया। एक्सप्लोजन जोन से डेढ़ किलोमीटर तक का एरिया खाली कराया गया था। ट्विन टावर को गिराने के लिए विस्फोट की जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया, उसके चलते घनी आबादी के बीच बने दोनों टावर अपनी जगह पर जमींदोज हो गए। आसपास की किसी इमारत को बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा। कुछ बिल्डिंग्स के शीशे टूटने और एक सोसाइटी की बाउंड्री वॉल में दरार आने की बात कही गई है। हालांकि नुकसान का सही आकलन सोसाइटी में रहने वाले परिवारों के लौटने के बाद ही हो सकेगा।
सुपरटेक के ट्विन टावर्स गिराने का जिम्मा संभाल रही एडिफिस कंपनी के ब्लास्टर चेतन दत्ता ने बताया कि डिमोलिशन शत-प्रतिशत सफल रहा। पूरी बिल्डिंग को गिराने में 9-10 सेकेंड का समय लगा। जैसा हमने सोचा था बिल्कुल वैसे ही परिणाम आए। हम 5 लोग टावर से बस 70 मीटर की दूरी पर थे। दत्ता ने बताया कि मेरी टीम में 10 लोग थे। इसके साथ ही 7 विदेशी विशेषज्ञ और एडिफिस इंजीनियरिंग के 20-25 लोग भी मौके पर मौजूद थे।
नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने बताया कि सुपरटेक के ट्विन टावर्स का डेमोलिशन दोपहर 2:30 बजे सफलतापूर्वक किया गया। सफाई का काम शुरू हो गया है और जल्द ही गैस और बिजली सप्लाई बहाल कर दी जाएगी। AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) की निगरानी की जा रही है और हम थोड़ी देर में डेटा जारी करेंगे। डेमोलिशन से पहले और बाद में AQI डेटा लगभग समान है। शाम 7 बजे के आसपास खाली कराई गई सोसाइटियों के निवासियों को अपने घरों में वापस जाने की अनुमति दी जाएगी। यहां लगभग 100 पानी के टैंकर और 300 सफाई कर्मचारी तैनात किए गए हैं। मलबे की चपेट में आने से पास की एटीएस सोसाइटी की 10 मीटर की चारदीवारी क्षतिग्रस्त हो गई है। अन्य कहीं से नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली है।
इमारत खड़ी कैसे हो गई?
सुपरटेक ने करीब 15 साल पहले एमरॉल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट की शुरुआत की थी। इसमें 3,4 और 5 बीएचके के फ्लैट हैं। यह सोसायटी नोएडा और ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के नजदीक है। मौजूदा समय में एक फ्लैट की कीमत 1 से 3 करोड़ रुपए तक है। शुरुआत में बिल्डर ने नोएडा अथॉरिटी के सामने जो प्लान दिया था उसके मुताबिक 9 मंजिला 14 टावर बनाए जाने थे। इसके बाद इसमें तीन बार संशोधन किया गया। 2012 में सुपरटेक ने 14 की जगह 15 टावर बनाने का फैसला किया और 9 से बढ़ाकर 14 मंजिल करने का प्लान बनाया। 40 मंजिला दो टावर बनाने का भी प्लान बनाया गया। फ्लैट खरीदारों ने इसके खिलाफ पहली बार मार्च 2010 में आवाज उठाई और लड़ाई इलाहाबाद हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। दोनों ही अदालतों से टावर को गिराने का आदेश दिया गया।
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में बिल्डर को दोषी पाया और फ्लैट खरीदारों के हक में फैसला दिया। ट्विन टावर के निर्माण में नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों का उल्लंघन किया गया। सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट में जब लोगों ने फ्लैट खरीदा तो ट्विन टावर के स्थान पर ग्रीन एरिया का वादा किया गया था। सुविधाओं को देखते हुए खरीदारों ने एमरॉल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट में फ्लैट बुक कराए। लेकिन बाद में बिल्डर ने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों से साठगांठ करके यहां ट्विन टावर खड़े कर दिए। नियमों के तहत टावर के बीच की दूरी 16 मीटर होनी चाहिए लेकिन यहां पर सिर्फ 9 मीटर छोड़ी गई। इसी के साथ टावर बनाने में हुए भ्रष्टाचार की परतें एक के बाद एक खुलती गईं। ऐसी खुलीं की आज इन टावरों को जमींदोज करने की नौबत आ गई।