गाजियाबाद। नगर निगम गाजियाबाद की लापरवाही के सामने कूड़ा निस्तारण को लेकर एनजीटी सख्ती बेकार साबित हो रही है। आलम यह है कि यदि आप गाजियाबाद आएं तो कहीं सड़क किनारे तो कहीं नालियों में, कहीं पार्कों में तो कहीं फुटपाथ पर कूड़े की भरमार आपको दिखाई दे ही जाएगी। इन्हीं कूड़ों के चलते दुर्गन्ध और संक्रामक बीमारियों के फैलने की संभावना बनी रहती है। कूड़े का नाले, नालियों में जमाव के कारण जरा-सी बारिश भी जलभराव का कारण बन जाती है।
इसी क्रम में बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र में नगर निगम द्वारा बनाया गया अवैध कूड़ा घर औद्योगिक इकाइयों, सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल एवं राहगीरों की परेशानी का कारण बना हुआ है। इस मामले में हमारा गाजियाबाद की टीम ने जब ग्राउण्ड रिपोर्टिंग की तो पता चला कि यहाँ नगर निगम की गाड़ियों द्वारा ही कूड़ा डम्प किया जा रहा है। जिसका विरोध करने पर कूड़ा डालने वाले बदतमीजी पर आमादा होे जाते है। गाजियाबाद इण्डस्ट्रीज फेडरेशन के महासचिव अनिल गुप्ता ने बताया कि डायमण्ड फ्लाईओवर के समीप स्थित इस अवैध कूड़ा के समीप महत्त्वपूर्ण निर्यातक औद्योगिक इकाइयाँ संचालित होती हैं। यहाँ लगे कूड़े के अम्बार से इकाइयों का संचालन प्रभावित हो रहा है।
फेडरेशन अध्यक्ष अरुण शर्मा ने जानकारी दी कि इस अवैध कूड़ा घर को हटाने के लिए नगरायुक्त को पत्र दिया गया है। किन्तु अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। क्षेत्र के औद्योगिक संगठन आईएएमए के महासचिव राजीव अरोड़ा ने बताया नगरायुक्त से मुलकात कर इस समस्या का समाधान करने के लिए कहा गया है। आशा है कि निगम द्वारा जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा। शिक्षाविद् अजय गुप्ता ने जानकारी दी कि इस कूड़ा घर से कुछ कदम की दूरी पर शहर का प्रतिष्ठित सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल स्थित है। कूड़े से गंदगी एवं आवागमन बाधित होने का दुष्प्रभाव विद्यार्थियों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है।
क्षेत्र के उद्यमी महेश सिंघल ने बताया नगर निगम की गाड़ियों द्वारा कूड़ा डम्प कर पूरा रास्ता ब्लॉक कर दिया गया है। इस कूड़े के ढेर से होने वाली दुर्गन्ध से श्रमिक एवं कर्मचारियों का काम करना मुश्किल हो गया है। क्षेत्र के उद्यमी सतीश चन्द मित्तल का कहना है कि जिस नगर निगम के पास शहर को साफ-सुथरा रखने की जिम्मेदारी है उसी के द्वारा रोड पर कूड़ों का ढेर लगाया जाना दुःखद व निन्दनीय है।
हमारा गाजियाबाद की टीम को नगर स्वास्थ्य अधिकारी मिथिलेश कुमार ने बताया कि नगरायुक्त द्वारा दिए गए निर्देश के क्रम में निर्माणाधीन ट्रांसफर स्टेशन का कार्य पूर्ण होने पर इस अस्थायी कूड़ा घर को वहाँ शिफ्ट कर दिया जाएगा। औद्योगिक क्षेत्रों की साफ सफाई को बेहतर बनाने के लिए निगम द्वारा जल्द ही सीनियर लेवल के जोनल सेनेट्री ऑफीसर की नियुक्ति की जाएगी। लोगों को दुर्गन्ध से बचाने व आवागमन की बाधा को दूर करने के लिए फिलहाल दीवार से 20 फुट की दूरी पर कूड़ा इकट्ठा करने की व्यवस्था की जा रही है।
इस गंभीर समस्या को निगम द्वारा हल्के में लिए जाने के कारण उद्यमियों में रोष व्याप्त है। ऐसे में देखना यह होगा कि जिन पर साफ सफाई की जिम्मेदारी थी, उन्हीं कर्मचारियों द्वारा रोड पर कूड़ा डम्प करने पर निगम उन पर क्या कार्यवाही करता है? साथ ही यह भी देखना काफी दिलचस्प होगा कि शासन की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर कुठाराघात करता यह अवैध कूड़ा घर हटाने में निगम कितना समय लगाता है? इस प्रकरण में यह तो तय है कि स्वच्छ सर्वेक्षण का ढिंढोरा पीटने वाले गाजियाबाद नगर निगम की इस मामले में सक्रियता या निष्क्रियता ही उसका चरित्र चित्रण करेगी।
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