दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में हो रही बारिश ने सर्दी को और बढ़ा दिया है। शुक्रवार से शुरू हुई यह बारिश कई इलाकों में देर रात तक जारी रही। पश्चिमी विक्षोभ के कारण पहाड़ों से लेकर मैदानों तक मौसम का मिजाज बदला हुआ है। यह बारिश जहां फसलों के लिए अमृत समान मानी जा रही है, वहीं कुछ मामलों में चुनौतियां भी पैदा कर सकती है।
बारिश का लाभ: फसलों के लिए संजीवनी बारिश ने किसानों को सिंचाई से राहत दी है। दिल्ली के उजवा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. समरपाल के अनुसार, यह बारिश गेहूं और सरसों जैसी फसलों के लिए बेहद लाभकारी है। बारिश का पानी मृदा की गहराई तक पहुंचता है, जिससे मिट्टी में लंबे समय तक नमी बनी रहती है। भूजल और नहरी सिंचाई की तुलना में यह अधिक प्रभावी होता है। किसानों को फसल की सिंचाई के लिए अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।
सरसों की फसल पर संभावित प्रभाव हालांकि सरसों की अगेती फसल के लिए यह बारिश नुकसानदायक हो सकती है। सरसों के पौधों में फलियां बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह उनकी संवेदनशील अवस्था है। अधिक बारिश से फलियां बनने की प्रक्रिया बाधित हो सकती है। कृषि विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि किसानों को खेतों में पानी जमा न होने देने के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए।
बागवानी फसलों को लाभ बागवानी विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार के अनुसार, बागवानी फसलों को यह बारिश लाभ पहुंचा रही है। गोभी वर्गीय सब्जियां (जैसे फूलगोभी, पत्तागोभी और ब्रोकली) के लिए यह बारिश फायदेमंद है। पत्तेदार सब्जियां (जैसे पालक, धनिया और मेथी) को भी लाभ हुआ है। गाजर, मूली और सलगम जैसी जड़ों वाली सब्जियों को कोई नुकसान नहीं होगा। हालांकि, पानी का एक जगह जमा होना नुकसानदायक हो सकता है।
मध्य प्रदेश और पंजाब में प्रभाव मध्य प्रदेश के मंदसौर, रतलाम और बड़वानी जैसे जिलों में बारिश और बादल छाए रहे। मौसम विभाग ने ओलावृष्टि और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है। पंजाब में पटियाला और अन्य स्थानों पर ओलावृष्टि दर्ज की गई।
हरियाणा और उत्तर प्रदेश में स्थिति हरियाणा के हिसार, भिवानी, फतेहाबाद और कैथल जिलों में ओलावृष्टि हुई। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में गरज के साथ बारिश और तेज हवाओं का दौर जारी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में अगले 24 घंटों के दौरान वज्रपात और तेज बारिश का अनुमान है।
सर्दी का कहर: ठंडी हवाओं का असर बारिश और ओलावृष्टि के चलते गलन और सर्दी बढ़ गई है। 31 दिसंबर तक ठंडी हवाओं के चलने का अनुमान है, जिससे ठंड का असर और अधिक हो सकता है।
किसानों के लिए सुझाव खेतों में जल निकासी का ध्यान रखें। सरसों की अगेती फसलों पर नजर रखें। जिन क्षेत्रों में ओलावृष्टि का खतरा है, वहां सावधानी बरतें। गेहूं, गोभी वर्गीय और पत्तेदार फसलों में नमी के लाभ का उपयोग करें।
इस बारिश ने एक तरफ किसानों को राहत दी है, तो दूसरी ओर कुछ फसलों के लिए चुनौतियां भी खड़ी की हैं। मौसम के बदलाव को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाकर किसान इस स्थिति को फायदेमंद बना सकते हैं। वहीं, ठंड का बढ़ता प्रभाव आम जनजीवन को प्रभावित कर रहा है। किसानों और आम नागरिकों को मौसम विभाग की चेतावनियों का पालन करते हुए सतर्क रहना होगा।
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