गाजियाबाद। शहर के सिद्धार्थ विहार में रहने वाले 25000 से अधिक निवासी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। सड़क के नाम पर दोनों ओर की डेढ़ किलोमीटर की सड़क पिछले कुछ दिनों से हुई बरसात के बाद तालाब बन चुकी है। सड़क पर स्ट्रीट पोल गायब हैं और जो हैं भी वह काम नहीं करते। शाम होते ही पूरे इलाके में अंधेरा छा जाता है और अपराध की आशंका रहती है।
आवास विकास परिषद द्वारा बड़े जोर शोर से सिद्धार्थ विहार योजना का आरम्भ कुछ वर्ष पहले किया गया था। लोगों को बड़े बड़े वादे दिखाए गए और कई प्राइवेट बिल्डर द्वारा यहां निवेश कर बड़े बड़े भूखंड लेकर सोसाइटी का निर्माण किया गया जिनमे प्रतीक ग्रैंड सिटी, अपैक्स क्रेमलिन, गौर सौंदर्यम, एसजी होम्स और अन्य परियोजना के अलावा ब्रह्मपुत्र एन्क्लेव, गंगा यमुना सोसाइटी और काशीराम योजना और अन्य शामिल हैं।
आज यहां की सोसाइटी में 25000 से अधिक परिवार रह रहे हैं परन्तु यहां की बदहाल सड़कों, टूटे हुए डिवाइडर और अतिक्रमण के चलते परेशान हैं। सड़कों पर बड़े बड़े गढ़े हो चुके हैं। दिन भर सड़कों पर धूल उड़ती रहती है। थोड़ी बारिश से सड़कों पर पानी भर जाता है। रात के समय सड़कों पर अंधेरा रहता है। बदहाल सड़कों और अंधेरा होने के चलते लोगों को पांच किलोमीटर अतिरिक्त चक्कर काटकर घर पहुंचना पड़ता है। आसानी से ई रिक्शा, ऑटो या एप्लीकेशन बेस्ड टैक्सी उपलब्ध नहीं होती अगर होती भी है तो कई बार राइड जगह का नाम देख कैंसिल कर दी जाती है। लोग केवल अपने साधन पर निर्भर तो हैं पर वो भी बदहाल सड़क के चलते आए दिन ख़राब होते रहते हैं।
पिछले छह वर्ष से अधिक समय से कर रहा कार्य आवास विकास परिषद पानी के पाइप डालने का काम कर रहा है और इसके लिए जगह जगह सड़क खोद दी गई है जिसके चलते आये दिन वाहन ख़राब हो रहे हैं। पाइप डालने का काम जगह जगह पर अधूरा पड़ा है। सड़क किनारे पाइप और मटेरियल महीनों से पड़ा है। बहुत ही धीमी गति से सालों से चल रहे काम का नतीजा यहां रहने वाले निवासी भुगत रहे हैं।
खाली पड़े प्लॉट्स यहां कूड़ा घर बन चुके हैं
इलाके में खाली प्लाट्स कूड़ाघर बन गए हैं जहाँ जमा गंदगी से इलाका दूषित हो रहा है। आवास विकास परिषद को और जन प्रतिनिधियों को कई बार इस विषय पर अवगत किया गया है परन्तु कोई कार्य धरातल पर नज़र नहीं आता।
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