दिल्ली। सीएम अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर जाने पर मचे घमासान के बीच दिल्ली सरकार की तरफ से बयान आया है। दिल्ली सरकार के अनुसार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिंगापुर नहीं जाएंगे। बयान में कहा गया है कि उपराज्यपाल और केंद्र से जरूरी अनुमति मिलने में काफी समय खराब हो गया। दिल्ली सरकार ने इसके लिए केंद्र को दोषी ठहराया गया है।
दिल्ली सरकार ने बताया कि 7 जून को भेजी गई फाइल करीब डेढ़ महीने बाद 21 जुलाई को उपराज्यपाल ने वापस लौटाई। जबकि यात्रा संबंधित औपचारिकताएं पूरी करने की 20 जुलाई तक की समय सीमा भी खत्म हो गई थी। दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार नहीं चाहती थी कि सीएम अरविंद केजरीवाल अंतरराष्ट्रीय मंच पर जाएं और दिल्ली के मॉडल के बारे में बताएं। केंद्र की यह मंशा जरूर पूरी हुई, लेकिन इसके लिए पूरे देश को वैश्विक समुदाय के बीच जिस तरह नीचा देखना पड़ा, उसके लिए केंद्र जिम्मेदार है।
इससे पहले विदेश मंत्रालय ने कहा कि होस्ट देश सिंगापुर ने निमंत्रण में बदलाव के अपडेट दिल्ली सरकार से शेयर किए हैं। इसकी जानकारी दिल्ली गवर्नमेंट के पास है। मंत्रालय को 21 जुलाई को राजनीतिक मंजूरी का आवेदन मिला था, जिसमें केजरीवाल के सिंगापुर दौरे का जिक्र था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरविंदम बागची के बयान के बाद फिर दिल्ली सरकार का बयान आया। इसमें उन्होंने कहा कि एलजी के पास मंजूरी से जुड़ी फाइल काफी समय तक पड़ी रही।
केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखा था लेटर
1 अगस्त को एक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अरविंद केजरीवाल सिंगापुर जाना चाहते थे। तय कानूनी प्रक्रिया के अनुसार दिल्ली सरकार ने एलजी से इसकी मंजूरी मांगी थी लेकिन काफी दिनों से यह फाइल लंबित थी। दिल्ली सरकार की तरफ से दावा किया गया था कि सिंगापुर में आयोजित सम्मलेन में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को न्योता दिया गया है। इसमें वे दिल्ली के विकास को रेखांकित करेंगे। लेकिन एलजी ऑफिस से कोई जवाब नहीं आया।
हालांकि कुछ समय बाद एलजी ऑफिस की ओर से फाइल खारिज कर दी गई। इसका कारण बताते हुए कहा गया कि सिंगापुर में आयोजित सम्मेलन मेयर्स का है उसमें मुख्यमंत्री के जाने का कोई औचित्य नहीं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी लेटर लिखा था। लेटर में सिंगापुर नहीं जाने देने पर निराशा जताई थी।
Discussion about this post