नई दिल्ली। कथित पत्रकार मोहम्मद जुबैर सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद बुधवार रात जेल से रिहा कर दिया गया। बुधवार को शीर्ष अदालत ने सभी मामलों में उसे जमानत दी,देते हुए यह भी कहा कि इसी विषय पर भविष्य में अगर कोई केस दर्ज होता है तो उसमें भी जुबैर को अंतरिम जमानत प्राप्त रहेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी छह मामले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को ट्रांसफर कर दिए हैं और उत्तर प्रदेश की एसआइटी भंग कर दी है।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एसएस बोपन्ना की पीठ ने जुबैर की याचिका पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिए। जुबैर ने याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश में दर्ज छह मामलों को रद किए जाने की मांग की थी। वैकल्पिक मांग में कहा था कि या फिर कोर्ट सभी मामलों को एक साथ संलग्न कर दिल्ली ट्रांसफर कर दे जहां पहले से ही एक मामले की जांच चल रही है और उस मामले में जमानत मिल चुकी है। याचिका में जुबैर ने सभी मामलों में अंतरिम जमानत देने की भी गुहार लगाई थी और भविष्य के मामलों में भी गिरफ्तारी से संरक्षण मांगा था।
पीठ ने जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर और उत्तर प्रदेश की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद की दलीलें सुनने के बाद जुबैर को सभी छह मामलों में जमानत देते हुए कहा कि गिरफ्तार करने की मिली शक्ति का कम इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जुबैर को लगातार जेल में रखने का कोई न्यायोचित आधार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जुबैर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष 20,000 का जमानती बंधपत्र जमा कराएगा। बंधपत्र जमा करने के तुरंत बाद तिहाड़ जेल के सुपरिंटेंडेंट उसकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएंगे।
कोर्ट ने जुबैर को बुधवार शाम छह बजे तक जेल से रिहा करने को भी कहा था। मुजफ्फरनगर का मामला भी दिल्ली स्थानांतरित सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर अदालत में लंबित मुकदमे को भी दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में स्थानांतरित कर दिया है। इस मामले में जुबैर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में जुबैर को मिली जमानत जारी रहेगी। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि जुबैर को उसके खिलाफ दर्ज एफआइआर रद कराने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की छूट होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने जुबैर के ट्वीट करने पर रोक लगाने की उत्तर प्रदेश सरकार की मांग खारिज कर दी।
कोर्ट ने कहा कि वह किसी पत्रकार के ट्वीट करने या लिखने पर कैसे रोक लगा सकता है। जब प्रदेश की वकील ने कहा कि अगर ये आपत्तिजनक ट्वीट करते हैं तो क्या होगा। कोर्ट ने कहा कि वह जो करेंगे उसके प्रति जवाबदेह होंगे। कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी। मामले पर बहस के दौरान जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि उसके ट्वीट में ऐसा कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है जिसके आधार पर आपराधिक मामला बनता हो। उत्तर प्रदेश में क्रिमिनल ला प्रक्रिया को उसे परेशान करने और चुप कराने के लिए प्रयोग किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार की ओर से पेश गरिमा प्रसाद ने कहा कि जुबैर के ट्वीट धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले थे। जिससे शांति भंग हो सकती थी। शांति व्यवस्था बनाए रखना सरकार का कर्तव्य है। सरकार दुराग्रह से काम नहीं कर रही। उन्होंने यह भी कहा कि जुबैर को भड़काऊ ट्वीट करने का पैसा मिलता था।