नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मास्टरस्ट्रोक ने विपक्षी दलों को चित कर दिया है। द्रौपदी मुर्मू बड़े अंतर से चुनाव जीत सकती हैं। शिवसेना के बाद कल यानी गुरुवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी मुर्मू के लिए अपने समर्थन की घोषणा कर दी।
झामुमो ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सहयोगी होने के बाद भी एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया है। इस मौके पर झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन ने कहा, ‘आजादी के बाद पहली बार किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनने का गौरव मिलने जा रहा है। इसलिए, उचित विचार-विमर्श के बाद पार्टी ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान करने का फैसला किया है।”
पिछले कुछ हफ्तों में एनडीए उम्मीदवार को कई पार्टियों का समर्थन मिला है जो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ब्लॉक का हिस्सा हैं। सोमवार को उद्धव ठाकरे द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने वाले शिवसेना के 13 सांसदों में से 11 ने शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोही गुट और पार्टी के बीच तालमेल की वकालत की। मामले से वाकिफ लोगों ने बताया कि मुर्मू का समर्थन करना इस प्रयास का हिस्सा होगा। अगले दिन शिवसेना प्रमुख ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पहली महिला-अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए अपने समर्थन की घोषणा की। ठाकरे ने जोर देकर कहा कि यह निर्णय दबाव में नहीं लिया गया है।
इसी तरह, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के एजेंडे का समर्थन करते हुए आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) और प्रतिद्वंद्वी तेलगु देशम पार्टी भी मुर्मू के नामांकन पर सहमत हुई। टीडीपी प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार को कहा कि पार्टी सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है जिसके परिणामस्वरूप वे शीर्ष पद के लिए आदिवासी नेता का समर्थन कर रहे हैं।
इसी तरह, पंजाब के शिरोमणि अकाली दल, जिसके लोकसभा में दो सांसद हैं और पंजाब में तीन विधायक हैं, ने भी जुलाई की शुरुआत में मुर्मू को अपना समर्थन दिया, जब भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा एनडीए के नामांकन का समर्थन करने के लिए पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के पास पहुंचे। शिअद के शीर्ष नेतृत्व द्वारा पार्टी मुख्यालय में तीन घंटे तक चली बैठक के बाद पारित प्रस्ताव में लिखा है, ”वह (मुर्मू) देश में गरीब और आदिवासी वर्ग के प्रतीक के तौर पर उभरी हैं।” बादल ने कहा, ”दोनों पार्टियों के राजनीतिक मतभेदों के बावजूद हमने सही रास्ता चुनने का फैसला किया है।”इससे पहले अकाली दल ने कृषि कानून विवाद को लेकर भगवा पार्टी से नाता तोड़ लिया था।
राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई के लिए निर्धारित है। संयुक्त 17 विपक्षी दलों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिंह को अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया है। वहीं, एनडीए ने ओडिशा के मयूरभंज के एक आदिवासी द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है।
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