पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में उठाया नूपुर शर्मा के बयान का मुद्दा, भारत ने कर दी बोलती बंद

वॉशिंगटन। पाकिस्‍तान की ओर से इस्‍लामिक देशों के संगठन ओआईसी के बहाने संयुक्‍त राष्‍ट्र में बीजेपी की निलंबित नेता नूपुर शर्मा के पैगंबर पर दिए बयान का मुद्दा उठाने पर भारत ने करारा जवाब दिया।

संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने संयुक्‍त राष्‍ट्र आम सभा में घृणा भाषण के खिलाफ आयोजित बैठक में पाकिस्‍तान पर यह पलटवार किया। तिरुमूर्ति ने कहा, ‘ लोकतंत्र और बहुलवाद का मानने वाला भारत सांस्‍कृतिक सहिष्‍णुता को बढ़ावा देता है और संविधान के दायरे में सभी धर्मों और संस्‍कृतियों का सम्‍मान करता है। किसी धर्म के अपमान के मुद्दे को हमारे कानूनी ढांचे के तहत निपटा जाएगा। हम बाहर से चुनिंदा विरोध को खारिज करते हैं, वह भी तब जब वे दुर्भावना से प्रेरित हों और विभाजनकारी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए हों जैसाकि हमने आज ओआईसी की ओर से अभी भारत का उल्‍लेख सुना है।’

इससे पहले पाकिस्‍तान के संयुक्‍त राष्‍ट्र में राजदूत मुनीर अकरम ने ओआईसी की ओर से संबोधित करते हुए पैंगबर विवाद पर भारत के खिलाफ दिए गए मुस्लिम देशों के संगठन के बयान का जिक्र किया। इससे पहले भारत ने इस महीने अपनी आलोचना किए जाने पर ओआईसी पर जोरदार जवाबी हमला बोला था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत ओआईसी के अनपेक्षित और संकीर्ण सोच वाले बयानों को खारिज करता है। साथ ही भारत ने जोर देकर कहा कि वह सभी धर्मों को सर्वोच्‍च सम्‍मान करता है।

भारत ने कहा था कि एक धार्मिक व्‍यक्तित्‍व को लेकर किया गया आक्रामक ट्वीट और बयान दो लोगों की ओर से किया गया है। ये किसी भी तरह से भारत सरकार के विचारों से मेल नहीं खाते हैं। काबुल में गुरुद्वारे पर हुए हमले की निंदा करते हुए भारत ने कहा कि समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश गैर-अब्राहमिक धर्मों के विरुद्ध घृणा की भर्त्सना करें जिनमें बौद्ध, हिंदू और सिख शामिल हैं।

तिरुमूर्ति ने काबुल के गुरुद्वारे पर हुए आईएस के हमले का उल्लेख किया। तिरुमूर्ति ने कहा, ‘भारत ने कई बार इस पर जोर दिया है कि धर्मों के प्रति घृणा के विरुद्ध लड़ाई तब तक नहीं जीती जा सकती जब तक कि यह केवल एक या दो धर्मों तक ही सीमित रहेगी। बौद्ध, हिंदू और सिख समेत गैर-अब्राहमिक धर्मों के विरुद्ध भेदभाव और घृणा के बढ़ते मामलों को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता।’

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