बिना मास्क और हेलमेट न लगाने वाले पुलिसकर्मियों का किया जाए चालान, कोई भी कानून से ऊपर नहीं: हाईकोर्ट

दिल्ली। हाईकोर्ट ने बुधवार को कोविड-19 के दौरान मास्किंग नीति का पालन न करने व बिना हेलमेट के गाड़ी चलाने वाले पुसिकर्मियों के चालान व कारवाई न करने पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिकारी कानून से ऊपर नहीं है और वे भी आम नागरिकों के समान है।

अदालत ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह अपने ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे क्योंकि बिना हेलमेट के गाड़ी चलाना मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, ‘पुलिस अधिकारी समान रूप से डीडीएमए द्वारा जारी निर्देशों से बंधे होते हैं। पीठ ने कहा हमारा विचार है कि उन्हें उदाहरण के द्वारा नेतृत्व करना चाहिए।’

पीठ ने यह टिप्पणी शालीन भारद्वाज की गई अपील में की गई है, जिसमें दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ ड्यूटी पर कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने और गृह मंत्रालय और दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा परिपत्र जारी करने के बावजूद कोविड-19 दिशानिर्देशों को लागू नहीं करने के लिए कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश देने का आग्रह किया है।

याची ने कहा अगस्त 2021 में सदर बाजार क्षेत्र में मास्क न पहनने पर उनका चालान किया गया। हालांकि, उनका आरोप है कि ड्यूटी पर उस समय पुलिस अधिकारी स्वयं मास्क और हेलमेट नहीं पहने हुए थे। उनका कहना है कि जब उन्हें थाना सदर बाजार लाया गया तो वे यह देखकर चौंक गए कि अधिकांश पुलिसकर्मी कोविड-19 के दिशानिर्देश का उल्लंघन कर बिना मास्क के बैठे हैं।

भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत करने के लिए संबंधित डीसीपी के कार्यालय से संपर्क किया। हालांकि वहां भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला ज्यादातर पुलिसकर्मी बिना मास्क के बैठे थे। हाईकोर्ट की सिंगल जज ने पिछले साल भारद्वाज की याचिका का इस आधार पर निपटारा कर दिया गया था कि उनकी शिकायत के आधार पर विवाद में फंसे दो पुलिस कर्मियों को आगाह किया गया था।

पीठ ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह दोषी अधिकारियों के खिलाफ मास्किंग मानदंडों के उल्लंघन और बिना हेलमेट के अपने वाहन की सवारी करने पर मोटर वाहन अधिनियम के उल्लंघन के लिए उचित कार्रवाई करें। अदालत ने पुलिस को 6 सप्ताह में कार्रवाई कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

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