दिल्ली में माँ और दो बेटी ने की आत्महत्या, घर को बनाया गैस चेंबर, खौफनाक है पूरी कहानी

दिल्ली। दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के वसंत विहार इलाके में शनिवार को एक फ्लैट में एक ही परिवार के तीन सदस्य मृत मिलने से हड़कंप मच गया था। आत्महत्या करने वालों में एक मां और उसकी दोनों बेटियां शामिल। कमरे में तीन अंगीठी जल रही थीं और पास ही एक गैस सिलेंडर खुला हुआ था। मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें मौत के कारणों का खुलासा किया गया है। आत्महत्या के मामले में पुलिस जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं।

पुलिस को मंजू श्रीवास्तव (55) और इनकी दो बेटियों अंकिता (30) और अंशुता (26) के शव शनिवार रात मिले थे। शुक्रवार शाम को बेटी ने दूध देने वाले दुकानदार से कहा था कि वह शनिवार का दूध ना पहुंचाए, वह कहीं बाहर जा रहे हैं। पुलिस को जिस कमरे में तीनों महिलाएं मृत मिली थीं, कमरे में तीन छोटी अंगीठी भी थी और गैस सिलेंडर खुला हुआ था।पुलिसकर्मियों ने देखा कि दरवाजे और खिड़कियां चारों तरफ से बंद हैं।

पुलिस को घर की अलग-अलग दीवारों से 10 पेज के सुसाइड नोट मिले हैं। सुसाइड नोट बड़ी बेटी ने लिखा है जिसमें उसने आर्थिक तंगी, बीमारी, रिश्तेदारों से दूरी और समाज से अलग-थलग हो जाने को आत्महत्या का कारण बताया है। जांच में पता चला है कि पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान महिला के पति की मौत हो गई थी। उसके बाद से महिला की तबीयत काफी खराब रह रही थी। महिला ज्यादातर बिस्तर पर रहती थी। इसकी वजह से उनके साथ-साथ उनकी दो बेटियां भी अवसाद में थीं।

पुलिस जांच में सामने आया है कि अंकिता ने अंगीठी, फॉयल पेपर, टेप और अन्य सामान अमेजन से मंगवाया था। इनकी डिलीवरी 19 मई को हुई थी। सामान आने के बाद अंकिता और उसकी बहन ने घर के हर दरवाजे और खिड़की को फॉयल पेपर और टेप की मदद से बंद कर दिया। जिससे ऑक्सीजन घर के अंदर न आ सके और घर में बनी जहरीली गैस बाहर न जा सके। मां सहित दो बेटियों की आत्महत्या के मामले में पुलिस जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। मां मंजू, बेटी अंकिता और अंशुता पिछले तीन माह से आत्महत्या की तैयारी कर रहे थे। घर को कैसे गैस चैंबर में बदला जाए। यह उन्होंने यूट्यूब से सीखा।

खुद जान दी, लेकिन लोगों को किया आगाह
इलाके के लोगों का कहना है कि परिवार बहुत अच्छा था। इनकी अच्छाई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुसाइड नोट में से एक नोट उन्होंने घर का गेट खोलते ही सामने दीवार पर चिपका रखा था, जिसमें लिखा था कि गेट खोलते ही कोई स्विच ऑन ना करें, ना कोई माचिस जलाए। घर के अंदर कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस फैली हुई है। पहले इसे निकाले तब ही अंदर आए। वरना यह आपके लिए घातक हो सकती है। नोट को पढ़ते ही फ्लैट के अंदर गए पुलिसवाले भी एक बार को इमोशनल हो गए कि मरने के बाद भी इन्होंने अन्य लोगों की जान का कितना ख्याल रखा।

बगल वाला फ्लैट भी खाली कराया
घर से मिले एक सुसाइड नोट में लिखा गया है कि तीन माह पहले ही घर की घरेलू सहायिका को हटा दिया गया था। साथ ही फ्लैट के बगल वाले उनके दूसरे फ्लैट को भी तीन माह पहले ही खाली करवा लिया गया था। सुसाइड नोट के अनुसार यह फ्लैट इसलिए खाली करवाया गया था कि अगर उनके घर में आग लगती है तो दूसरे फ्लैट में रहने वाले किराएदारों की मौत न हो जाए। एक सुसाइड नोट में लिखा है कि उनके मरने के बाद घर का सारा सामान घरेलू सहायिका कमला को दे दिया जाए। अगर वह सामान न ले तो यह सामान किसी भी गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति को दे दिया जाए।

मैनपुरी का रहने वाला था परिवार
पुलिस अधिकारी ने बताया कि मंजू के पति उमेश मूलत: यूपी के मैनपुरी जिले के किसनी तहसील के गांव अर्जुनपुर के रहने वाले थे। वह 1979 में परिवार के साथ दिल्ली आ गए थे। शुरू में कई जगह किराए पर रहने के बाद 1994 में मंजू की मां ने वसंत विहार का घर उन्हें दे दिया और पूरा परिवार वहां शिफ्ट हो गया था। पहले वह गांव आते-जाते रहते थे लेकिन 2017 में उन्होंने 15 लाख रुपये में गांव का पुश्तैनी घर व खेत एक व्यक्ति को बेच दिया था। उसके बाद से उन्होंने गांव जाना भी बंद कर दिया था।

कोरोनाकाल में खराब हुई आर्थिक स्थिति
पड़ोसियों ने बताया कि उमेश दिल्ली में लंबे समय से एक सीए के साथ काम कर रहे थे। वह अपनी दोनों बेटियों को भी सीए बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्हें कोचिंग भी करवाई थी। लेकिन 2021 में कोरोना से उमेश की मौत के बाद उनका पूरा परिवार अवसाद में आ गया था। पड़ोसियों ने बताया कि कोरोना के दौरान परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। पड़ोसियों ने चंदा जमा करके उमेश का अंतिम संस्कार कराया था और अंकिता ने उनके शव को मुखाग्नि दी थी।

Exit mobile version