तिरुवनंतपुरम। केरल के मलप्पुरम में एक कार्यक्रम के दौरान पुरस्कार लेने के लिए एक लड़की को मंच पर बुलाने को लेकर एक मुस्लिम विद्वान ने आयोजकों को कथित तौर पर फटकार लगाई। घटना के एक दिन बाद केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बड़ी बात कही है। आरिफ मोहम्मद खान ने गुरुवार को कहा कि वह इस मुद्दे पर देश के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक नेतृत्व की चुप्पी से ‘निराश’ हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह केरल में नेतृत्व की चुप्पी से दुखी हैं।
खान ने कहा, ‘मैं बेहद निराश हूं कि पूरा राजनीतिक नेतृत्व इसे लेकर खामोश है। न केवल राजनीतिक नेतृत्व बल्कि बाकी लोग भी इस पर चुप हैं। मैं सारी पार्टियों के हाईकमान से आगे आने और हमारी बेटियों की गरिमा और सम्मान की रक्षा करने की अपील करता हूं। जब आपकी बेटियों को अपमानित किया जा रहा हो तो खामोशी ओढ़ने को मैं पाप मानता हूं।’ उन्होंने कहा कि उन्हें सबसे ज्यादा हैरानी तो इस बात से हुई कि कोई केस दर्ज नहीं हुआ है और राज्य में महिला या बाल अधिकार आयोग जैसी किसी संस्था ने घटना का संज्ञान नहीं लिया।
‘महिलाओं के प्रति उनका रवैया भेदभाव वाला’
गवर्नर ने कहा, ‘सबके सामने लड़की को अपमानित करना, उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाना, एक संज्ञेय अपराध है। इस व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर कोई सवाल नहीं? मुझे उम्मीद है, अपेक्षा है और मैं दुआ करता हूं कि हमारे राज्य की संस्थाएं इस अपराध का स्वत: संज्ञान लें। मुझे सबसे ज्यादा हैरान इस बात ने किया है कि कोई केस दर्ज नहीं किया गया, कोई संज्ञान नहीं लिया गया। क्या हम अपनी बेटियों, हमारी बच्चियों को उन लोगों के हाल पर छोड़ रहे हैं जो समाज में धार्मिक नेताओं के भेष में बैठे हैं, लेकिन महिलाओं के प्रति उनका रवैया भेदभाव वाला है।’
‘कानून के शासन में संख्या मायने नहीं रखती’
केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शाम को मुस्लिम विद्वान पर लड़की का कथित तौर पर सार्वजनिक रूप से अपमान करने का मामला दर्ज कराया है और एक बाल संरक्षण अधिकारी को घटना के संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है। जब एक रिपोर्टर ने जिक्र किया कि उक्त मुस्लिम विद्वान ‘समस्त’ का नेता है, जिसके केरल में 10,000 मदरसे हैं, तो खान ने कहा कि लोकतंत्र या कानून के शासन में उनकी संख्या मायने नहीं रखती और इससे वह अपनी अंतरात्मा को नहीं दबाएंगे।
‘यह संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन’
गवर्नर खान ने कहा, ‘उनके हजारों मदरसे हो सकते हैं, लेकिन उनकी संख्या के कारण मैं अपने अंत:करण की आवाज को नहीं दबने दूंगा। वे बहुत शक्तिशाली हो सकते हैं लेकिन उनके पास एक युवा प्रतिभाशाली लड़की को अपमानित करने का अधिकार नहीं है। उनकी कितनी भी संख्या हो, ये मायने नहीं रखता है। आप लोकतंत्र में हैं, कानून के राज में हैं। चाहे आप कितने ही पहुंचे हुए क्यों न हो, कानून आपसे ऊपर है। यह न केवल कुरान के स्पष्ट आदेश का उल्लंघन है, बल्कि यह संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के प्रावधानों का भी स्पष्ट उल्लंघन है।’
यह है पूरा मामला
दरअसल यह घटना मलप्पुरम जिले में एक मदरसे की इमारत के उद्घाटन के दौरान की है, जहां हाल में छात्रों को सम्मानित किया गया था। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) नेता पनक्कड सैयद अब्बास अली शिहाब थंगल ने लड़की को स्मृति चिह्न प्रदान किया था। पुरस्कार दिए जाने के तुरंत बाद मुस्लिम विद्वान एम टी अब्दुल्ला मुसलियार ने आयोजकों से पूछा कि लड़की को मंच पर क्यों बुलाया गया।
मुसलियार को आयोजकों से कहते हुए सुना गया कि किसने 10वीं कक्षा की लड़की को मंच पर आमंत्रित किया? अगर आपने यह दोबारा किया तो….ऐसी लड़कियों को यहां मत बुलाइए। क्या आपको ‘समस्त’ के नियम नहीं पता? क्या आपने उसे बुलाया है? उसके माता-पिता को पुरस्कार लेने के लिए मंच पर आने को कहिए। जब हम यहां बैठे हो, तो ऐसी चीजें मत करना। यह तस्वीरों में दिखायी देगा और टेलीकास्ट होगा। लड़की का नाम पुकारने वाले व्यक्ति को मुसलियार से माफी मांगते हुए देखा गया।