ज्ञानव्यापी मस्जिद परिसर के अंदर नहीं घुस सकी टीम, नौ मई तक के लिए सर्वे टला

वाराणसी। ज्ञानवापी प्रकरण में दूसरे दिन शनिवार को कोर्ट कमिश्नर का सर्वे नहीं हो सका। विपक्षियों ने कोर्ट कमिश्नर को मस्जिद में प्रवेश करने से रोक दिया। विपक्षी अधिवक्ता ने अंदर प्रवेश का आदेश न होने का हवाला दिया। इस वजह से सर्वे 9 मई को अगली सुनवाई तक टाल दिया गया है।

ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी सहित अन्य विग्रहों की वस्तुस्थिति जानने के लिए सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है। कोर्ट कमिश्नर ने छह मई को सर्वे के तहत ज्ञानवापी मस्जिद के पश्चिम स्थित शृंगार गौरी व आसपास की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई थी।

वहीं आज शनिवार को हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में दाखिल होने के लिए गए थे लेकिन टीम को मस्जिद के अंदर नहीं घुसने दिया गया। इनके साथ वीडियोग्राफर और फोटोग्राफर को भी मस्जिद परिसर में दाखिल होना था। सर्वे टीम बिना सर्वे किए ही वापस लौट आई। इससे पहले हिंदू पक्ष के वकीलों के साथ काशी विश्वनाथ धाम गेट नंबर चार पर बड़ी तादाद में सुरक्षाकर्मी भी मौजूद थे। मुस्लिम पक्ष के वकील ने बयान दिया कि अभी हम सर्वे में सहयोग नहीं करेंगे क्योंकि सुनवाई की तारीख आगे लगी है।

सर्वे जारी रखने का आदेश
शनिवार को कोर्ट कमिश्नर को मस्जिद के अंदर जाकर विग्रहों की स्थिति देखनी थी। सर्वे की कार्यवाही दोपहर बाद तीन बजे शुरू होनी थी। उससे पहले विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभयनाथ यादव व एकलाख अहमद ने अदालत में आपत्ति दाखिल कर कोर्ट कमिश्नर को बदलने की मांग की। कोर्ट ने सुनवाई के बाद सर्वे जारी रखने और वादी को 9 मई को अपना पक्ष रखने का आदेश जारी किया। इसके बाद वादी व अधिवक्तागण ज्ञानवापी परिसर पहुंचे।

मस्जिद में मौजूद थे 400 से 500 नमाजी
सर्वे टलने के बाद धाम के बाहर निकले वादी महिलाओं व अधिवक्ताओं ने कहा कि प्रशासन ने कमीशन की कार्यवाही में सहयोग नहीं किया। मस्जिद में पहले ही चार सौ से पांच सौ नमाजियों की मौजूदगी थी। पहली बार सामान्य दिनों में इतनी संख्या में नमाजी दिखे। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की। जबकि पुलिस प्रशासन को पता था कि सर्वे के लिए कोर्ट कमीशन की कार्यवाही होनी है।

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