‘हम 25 करोड़, तुम 100 करोड़, 15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो’, भड़काऊ भाषण केस में अकबरुद्दीन ओवैसी बरी

हैदाराबाद। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी पर कोर्ट का फैसला आ गया है। भड़काऊ बयान मामले में अकबरुद्दीन ओवैसी को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।

हैदराबाद के नामपल्ली स्थित विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। साल 2013 में अकबरुद्दीन ओवैसी ने भड़काऊ बयान दिया था। अदालत ने पिछले हफ्ते 2012 में दो सार्वजनिक सभाओं में अकबरुद्दीन द्वारा दिए गए कथित नफरत भरे भाषणों से संबंधित मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को इस मामले में फैसला आने की उम्मीद थी। लेकिन हैदराबाद की एक अदालत ने AIMIM नेता अकबरुद्दीन ओवैसी से जुड़े 2012 के कथित अभद्र भाषा के मामले में फैसला बुधवार तक टाल दिया।

अकबरुद्दीन के खिलाफ पुलिस ने दो मामले दर्ज किए गए थे। 8 और 22 दिसंबर 2012 दिए गए उनके भड़काऊ भाषण के संबंध में आदिलाबाद और निजामाबाद जिलों के थाने में ये मामला दर्ज किया गया था। AIMIM नेता को 7 जनवरी 2013 को उनके भाषणों के सोशल नेटवर्किंग साइटों पर वायरल होने के बाद गिरफ्तार किया गया था।

अकबरूद्दीन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 153-ए (धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। लगभग जेल में 40 दिन बिताने के बाद अकबरूद्दीन को अदालत ने जमानत दे दी थी। हालांकि, 2016 में पुलिस ने अकबरुद्दीन के खिलाफ आदिलाबाद जिले की एक अदालत में आरोप पत्र दायर किया था। जब राज्य सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी।

इस मामले में सीआईडी ने 2016 में चार्जशीट फाइल की थी। इस मामले में लगभग 74 गवाह पेश किए गए थे। नजीमाबाद मामले में 41 और निरमाल मामले में 33 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। हालांकि अदालत ने गवाहों औऱ सबूतों को अपर्याप्त बताया।

अकबरुद्दीन ने अपने बयान में कहा था, ”लोग मुसलमान को डरा रहे हैं। मोदी है.. मोदी है… काहे का मोदी.. एक बार हैदराबाद आ जाओ बता देंगे। तसलीमा नसरीन आई कहां है किसी को नहीं मालूम। हिंदुस्तान हम 25 करोड़ हैं.. तुम 100 करोड़ है न.. ठीक है तुम तो हमसे इतने ज्यादा हो… 15 मिनट पुलिस को हटा लो हम बता देंगे कि किसमें कितना दम है। एक हजार क्या? एक लाख क्या एक करोड़ नामर्द मिलकर भी कोशिश कर लें तो भी एक को पैदा नहीं कर सकते। और ये लोग हमसे मुकाबला नहीं कर सकते। जब मुसलमान भारी पड़ा तो यह नामर्दों की फौज आ जाती है।”

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