गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत के बाद योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार (25 मार्च) को लखनऊ के भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वहीं, योगी कैबिनेट में 2 डिप्टी सीएम समेत 18 कैबिनेट मंत्री, 14 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 18 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली। योगी मंत्रिमंडल में सबसे चौंकाने वाला नाम अगर कोई है, तो वह गाजियाबाद से नरेंद्र कश्यप का है। सरकार में कश्यप का कद बढ़ने से इतर पांचों मौजूदा विधायकों को महत्व न मिलने पर चर्चाओं का बाजार गरम है।
योगी सरकार में जगह न मिलने से पांचों नव-निर्वाचित विधायकों को झटका लगा है। निवर्तमान स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग भी अपने प्रमोशन को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त थे, लेकिन वह अपनी राज्यमंत्री तक की कुर्सी तक नहीं बचा पाए। साहिबाबाद विधानसभा सीट से विधायक सुनील शर्मा ने इस बार सपा प्रत्याशी अमरपाल शर्मा को 2,14 835 वोट से हराकर देश में सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड बनाया था। लेकिन उन्हें भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।
हालाँकि भाजपा ने नरेंद्र कश्यप को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाकर सबको चौंका दिया है। नरेन्द्र कश्यप वर्तमान में किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। कश्यप के नाम की चर्चा दूर-दूर तक नहीं थी। 59 वर्षीय कश्यप को कुछ साल पहले बसपा से निष्कासित कर दिया गया था। बसपा कोटे से वह 2010-16 तक राज्यसभा सदस्य रहे थे।
इन दावेदारों के बीच बीजेपी ने नरेंद्र कश्यप को चुना
गाजियाबाद में 5 विधानसभा है। पांचों विधानसभाओं में भारतीय जनता पार्टी के विधायक जीते हैं। योगी के पहले कार्यकाल में अतुल गर्ग ने दो महत्वपूर्ण मंत्रालय भी संभाले थे वहीं, साहिबाबाद विधानसभा से जीते सुनील शर्मा प्रदेश में सबसे अधिक वोटों से जीते थे। इसके अलावा गठबंधन के बाहुबली प्रत्याशी मदन भैया को लोनी से हराकर नंदकिशोर गुर्जर भी चर्चा में आए थे।
मोदीनगर विधानसभा से डॉ मंजू श्रीवास महिला जाट और डॉक्टर होने की क्वालिफिकेशन से मंत्री बनने का दावा ठोक रही थीं। इसके अलावा मेरठ की किठौर से त्यागी बिरादरी के बीजेपी विधायक हारने के बाद मुरादनगर से अजीत पाल त्यागी का भी दावा मजबूत था, लेकिन उसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र कश्यप को चुना।