हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका, जानें क्या है मकान के किराया का मामला

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने किराया राहत पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के भाषण को लागू करने पर रोक के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया।

मार्च 2020 में कोरोना काल में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मकान मालिकों से अपील की थी कि वे पैसे के लिए किराएदारों को घर से न निकालें। उन्होंने कहा था कि गरीबी की वजह से कोई किराया नहीं दे पाता तो कोरोना का संकट टलने के बाद दिल्ली सरकार इसे चुकाएगी। केजरीवाल ने दिल्ली छोड़कर जा रहे लोगों से अपील की थी कि वे कहीं न जाएं। लेकिन बाद में राज्य की ओर से इस भाषण को लागू नहीं किया गया।

पिछले साल 27 सितंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप सरकार को मुख्यमंत्री की उक्त घोषणा के क्रियान्वयन के लिए नीति बनाने का निर्देश देने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगा दी थी।

वहीं अब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में मांग की गई थी कोर्ट आप सरकार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भाषण को क्रियान्वित करने के लिए नीति तय करने और उसे लागू करने का निर्देश दे। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की खंडपीठ ने कहा कि भाषण के आधार पर वचन-पत्र नहीं चलेगा। इसके लिए कुछ नीति होनी चाहिए। सरकार को इस संबंध में एक अधिसूचना जारी करनी होगी।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि यह दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक वार्ता आदेश है और इसलिए वह इसमें हस्तक्षेप नहीं कर रही है। कोर्ट ने कहा कि विशेष अनुमति याचिका में संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनाया गया है। इस आधार पर विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।

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