नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से शनिवार को हाल ही में एलआईसी के आईपीओ से संबंधित उस रिपोर्ट को काल्पनिक करार कर खारिज कर दिया गया है, जिसमें दावा किया गया था कि 2021 में कोविड-19 से संबंधित मौतें आधिकारिक तौर पर दर्ज की गई मौतों की तुलना में बहुत अधिक हो सकती हैं। सरकार ने कहा कि एलआईसी द्वारा निपटाए गए दावे सिर्फ कोरोना नहीं, बल्कि सभी कारणों से होने वाली मौतों से संबंधित हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिला और राज्य स्तर तक, कोविड-19 मौतों की रिपोर्ट तैयार करने की एक बेहद पारदर्शी और कुशल प्रणाली है। संक्रमण से हुई मौतों की रिपोर्ट करने की प्रक्रिया की निगरानी की जाती है और यह काम पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से होता है।
सरकार की ओर से कहा गया कि आगामी मार्च में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा लॉन्च किए जाने वाले देश के सबसे बड़े आईपीओ से संबंधित मीडिया रिपोर्ट में बीमाकर्ता द्वारा तय नीतियों और दावों के विवरण का उल्लेख किया गया है। इसमें पक्षपातपूर्ण व्याख्या की गई है कि कोविड से संबंधित मृत्यु दर आधिकारिक रूप से दर्ज की गई तुलना में अधिक हो सकती है। सरकार की ओर से कहा गया कि यह स्पष्ट किया जाता है कि ये रिपोर्ट काल्पनिक और निराधार हैं।
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एलआईसी द्वारा निपटाए गए दावे सिर्फ कोरोना नहीं, बल्कि सभी कारणों से होने वाली मौतों के लिए पॉलिसी धारकों द्वारा ली गई जीवन बीमा पॉलिसियों से संबंधित हैं, जबकि संबंधित रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाल लिया गया है कि कोविड-19 से हुई मौतों को कम करके आंका गया था। बयान के अनुसार, इस तरह की त्रुटिपूर्ण व्याख्या तथ्यों पर आधारित नहीं है और लेखक के पूर्वाग्रह को उजागर करती है।
सरकार ने दी ये सलाह
बयान में कहा गया कि भारत में कोविड-19 से हुई मौतों की रिपोर्टिंग के संबंध में इस तरह से किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना केवल अटकलों और अनुमानों के समान है। इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए कि सरकार ने पारदर्शी तरीके से मौतों की रिपोर्ट करने के एकमात्र उद्देश्य से विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त वर्गीकरण को अपनाया है। बयान में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कोविड-19 महामारी जैसे वैश्विक संकट के दौरान मृत्यु के रूप में संवेदनशील मुद्दों को अत्यधिक संवेदनशीलता और प्रामाणिकता के साथ निपटाया जाना चाहिए।